Chandrayaan-3 की चांद बस एक छलांग दूर, अब सिर्फ लैंडिंग बाकी

नईदिल्ली चांद से भारत के चंद्रयान-3 की दूरी लगातार कम होती जा रही है। यानी...

नईदिल्ली

चांद से भारत के चंद्रयान-3 की दूरी लगातार कम होती जा रही है। यानी अब वह समय करीब आ रहा  है जब चंत्रयान चांद की सतह को छू लेगा। सोमवार को एक बार फीर चंद्रयान-3 की कक्षा घटा दी गई। अब इसे 174×1437 से घटाकर 150kmx177 किलोमीटर कर दिया गया है। अब चंद्रयान चंद्रमा के बेहद करीब चक्कर लगाएगा। यह सिलसिला 16 अगस्त तक चलेगा और इसके बाद चंद्रयान चांद पर उतरने के लिए पूरी तरह से तैयार होगा।

चौथी बार घटाई गई है कक्षा
ISRO ने ट्वीट करके कक्षा घटाने की जानकारी दी है। इसरो की तरफ से कहा गया है कि 16 अगस्त को सुबह साढ़े 8 बजे अगला ऑपरेशन होगा। इससे पहले 9 अगस्त को चांद की कक्षा घटाई गई थी। उससे भी पहले पांच अगस्त को इस कक्षा को घटाकर 164 x 18074 किलोमीटर किया गया गया था। आपको बता दें कि 14 जुलाई को इस मिशन को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। तब से अहम पड़ावों को पार करते हुए यह मंजिल के करीब पहुंच गया है।

कैसा रहा है सफर
श्रीहरिकोटा से लॉन्च होने के बाद चंद्रयान पहले धरती का चक्कर लगा रहा था। इसके बाद इसकी कक्षा को  बढ़ाया जाने लगा। सबसे पहले 15 जुलाई को इसकी कक्षा बढ़ाई गई। इसके बाद 18 और 20 जुलाई को कक्षा बढ़ाई गई। 25 अगस्त को फिर से यही प्रक्रिया दोहराई गई और फिर 31 जुलाई और 1 अगस्त कि दरम्यानी रात इसने पृथ्वी की कक्षा से चांद की ओर छलांग लगा दी।

पांच दिन बाद यानी 5 अगस्त को यह चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया। इसरो ने ट्वीट कर जानकारी दी कि चंद्रयान अब चांद के गुरुत्वाकर्षण को महसूस कर रहा है। इसके बाद 6 अगस्त को चंद्रयान ने चांद की बेहद खूबसूरत तस्वीरें भेजी थीं। चंद्रयान के आसपास ही रूस ने मिशन लूना-25 भी लॉन्च किया है। दोनों ही देशों के मिशन चांद के साउथ पोल पर ही लैंड करने वाले हैं। भारत की कामयाबी के साथ ही भारत उन चार देशों में शुमार हो जाएगा जिन्होंने चांद पर सॉफ्टलैंडिंग में कामयाबी हासिल की है। अमेरिका, रूस और चीन का नाम पहले से इस  सूची में है।  
 
इसके बाद 9 अगस्त को तीसरी बार ऑर्बिट बदली गई थी. तब यह चांद की सतह से 174 km x 1437 km की ऑर्बिट में घूम रहा था. चांद की ऑर्बिट में इसरो चंद्रयान-3 के इंजनों से रेट्रोफायरिंग करवा रहा है. यानी गति धीमी करने के लिए उलटी दिशा में यान को चला रहा है. इसके बाद 16 अगस्त की सुबह 8:38 बजे से 8:39 बजे के बीच पांचवीं कक्षा बदली जाएगी. यानी सिर्फ एक मिनट के लिए इसके इंजन ऑन किए जाएंगे.  

17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे. इसी दिन दोनों मॉड्यूल चंद्रमा के चारों तरफ 100 km x 100 km की गोलाकार ऑर्बिट में होंगे. 18 अगस्त की दोपहर पौने चार बजे से चार बजे के बीच लैंडर मॉड्यूल की डीऑर्बिटिंग होगी. यानी उसकी कक्षा की ऊंचाई में कमी लाई जाएगी.

20 अगस्त को चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल की रात पौने दो बजे डीऑर्बिटिंग होगी. 23 अगस्त को लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा. सबकुछ सही रहेगा तो पौने छह बजे के करीब लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा.

ISRO के बेंगलुरु में मौजूद सेंटर टेलिमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) के मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX) से लगातार चंद्रयान-3 की सेहत पर नजर रखी जा रही है. फिलहाल चंद्रयान-3 के सभी यंत्र सही तरीके से काम कर रहे हैं.