लैब में बनाए मिनी किडनी और मिनी फेफड़े

वैज्ञानिकों ने लैब में छोटे आकार के फेफड़े और अन्य अंग उगाने में कामयाबी हासिल की है. यह सफलता आने वाले समय में गर्भवती महिलाओं की समस्याओं के इलाज की दिशा में बड़े रास्ते खोल सकती है (dw.com) वैज्ञानिकों ने लैब में मिनी-ऑर्गन बनाए हैं. गर्भ में भ्रूण को संभाल कर रखने वाले द्रव्य में से कोशिकाएं निकालकर उनसे ये अंग विकसित किए गए हैं. वैज्ञानिकों ने इन्हें ऑर्गनोएड्स नाम दिया है. ये छोटे-छोटे अंग नई दवाएं विकसित करने के साथ-साथ अंगों की कार्य-प्रक्रिया समझने में भी मददगार साबित हो सकते हैं. ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और ग्रेट ऑर्मंड स्ट्रीट हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने 12 गर्भवती महिलाओं के गर्भ से कोशिकाएं जमा कीं. ये सैंपल नियमित जांच के दौरान ही लिए गए. उन कोशिकाओं से पहली बार ये ऑर्गनाएड्स विकसित किए गए. इन वैज्ञानिकों का मानना है कि उनकी खोज भविष्य में डॉक्टरों को बच्चे के जन्म से पहले ही जन्मजात बीमारियों के इलाज में मदद कर सकती है. इसके अलावा गर्भ में ही बच्चे के लिए जरूरी पोषण मुहैया कराया जा सकता है. कैसे हुआ शोध इस खोज पर नेचर मेडिसिन पत्रिका में एक शोध पत्र प्रकाशित हुआ है. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की शोधकर्ता मातिया गेरली इस खोज को लेकर बहुत उत्साहित हैं. उन्होंने और उनके सहयोगियों ने जो स्टेम सेल गर्भ से निकाले थे, वे दरअसल भ्रूण द्वारा उतारी गई कोशिकाएं थीं. गर्भ के दौरान ऐसा होना आम बात है. पहले वैज्ञानिकों ने उन कोशिकाओं को अलग-अलग करके उनकी पहचान की कि वे किस अंग से आए हैं. उनमें से फेफड़े, गुर्दे और आंत से आई कोशिकाओं को अलग-अलग किया गया और फिर उनका इस्तेमाल अंग विकसित करने में किया गया. वैसे, ऑर्गनाएड बनाने का यह पहला प्रयास नहीं है. लेकिन अब तक जो ऑर्गनाएड बनाए गए हैं वे वयस्क कोशिकाओं से लिए गए थे. लेकिन वयस्क कोशिकाओं से स्टेम सेल लेने के बहुत से नियम-कानूनहैं. गर्भ में मौजूद अमोनिक द्रव्य से कोशिकाएं लेना इन नियमों के दायरे से बाहर हैं इसलिए वैज्ञानिकों के लिए यह आसान है. नैतिकता पर बहस ब्रिटेन में गर्भपात के लिए आमतौर पर 22 हफ्ते की सीमा निर्धारित है. उसके बाद गर्भ से कोशिकाएं नहीं ली जा सकतीं. इस वजह से उस सीमा के बाद वे भ्रूण के विकास का अध्ययन कोशिकाओं के जरिए नहीं कर सकते. बाकी दुनिया में भी गर्भपात को लेकर अलग-अलग लेकिन कड़ी सीमाएं तय हैं. मैडिसन की विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी में कानून और बायोएथिक्स के मानद प्रोफेसर अल्टा चारो कहती हैं कि अमेरिका में अधिकतर राज्यों में शोध के लिए भ्रूण से उत्तक लेना वैध है. लेकिन ब्रिटेन में ऐसा नहीं है. चारो इस शोध में शामिल नहीं थीं. वह कहती हैं कि यह नया तरीका किसी तरह की नैतिक दुविधा पैदा नहीं करता. उन्होंने कहा, अमोनिक द्रव्य से कोशिकाएं लेना भ्रूण या मां के लिए किसी तरह से खतरनाक नहीं होता. इसे नियमित जांच के लिए इस्तेमाल किया ही जा रहा है. कई वैज्ञानिक इस बात से सहमत हैं. सैन फ्रांसिस्को की कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी में डिवेलपमेंटल एंड स्टेम सेल बायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ आर्नल्ड क्रीगश्टाइन कहते हैं कि इस तरीके से स्टेम सेल लेना उस भ्रूण विशेष के बारे में बहुत सी जानकारियां दे सकता है. और चूंकि अमोनिक द्रव्य से लैब में ऑर्गनाएड्स बनाने में चार से छह हफ्ते लगते हैं तो अगर अजन्मे बच्चे में कोई समस्या नजर आती है तो उसका इलाज जन्म से पहले करने के लिए काफी समय मिल सकता है. वीके/सीके (एपी)

लैब में बनाए मिनी किडनी और मिनी फेफड़े
वैज्ञानिकों ने लैब में छोटे आकार के फेफड़े और अन्य अंग उगाने में कामयाबी हासिल की है. यह सफलता आने वाले समय में गर्भवती महिलाओं की समस्याओं के इलाज की दिशा में बड़े रास्ते खोल सकती है (dw.com) वैज्ञानिकों ने लैब में मिनी-ऑर्गन बनाए हैं. गर्भ में भ्रूण को संभाल कर रखने वाले द्रव्य में से कोशिकाएं निकालकर उनसे ये अंग विकसित किए गए हैं. वैज्ञानिकों ने इन्हें ऑर्गनोएड्स नाम दिया है. ये छोटे-छोटे अंग नई दवाएं विकसित करने के साथ-साथ अंगों की कार्य-प्रक्रिया समझने में भी मददगार साबित हो सकते हैं. ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और ग्रेट ऑर्मंड स्ट्रीट हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने 12 गर्भवती महिलाओं के गर्भ से कोशिकाएं जमा कीं. ये सैंपल नियमित जांच के दौरान ही लिए गए. उन कोशिकाओं से पहली बार ये ऑर्गनाएड्स विकसित किए गए. इन वैज्ञानिकों का मानना है कि उनकी खोज भविष्य में डॉक्टरों को बच्चे के जन्म से पहले ही जन्मजात बीमारियों के इलाज में मदद कर सकती है. इसके अलावा गर्भ में ही बच्चे के लिए जरूरी पोषण मुहैया कराया जा सकता है. कैसे हुआ शोध इस खोज पर नेचर मेडिसिन पत्रिका में एक शोध पत्र प्रकाशित हुआ है. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की शोधकर्ता मातिया गेरली इस खोज को लेकर बहुत उत्साहित हैं. उन्होंने और उनके सहयोगियों ने जो स्टेम सेल गर्भ से निकाले थे, वे दरअसल भ्रूण द्वारा उतारी गई कोशिकाएं थीं. गर्भ के दौरान ऐसा होना आम बात है. पहले वैज्ञानिकों ने उन कोशिकाओं को अलग-अलग करके उनकी पहचान की कि वे किस अंग से आए हैं. उनमें से फेफड़े, गुर्दे और आंत से आई कोशिकाओं को अलग-अलग किया गया और फिर उनका इस्तेमाल अंग विकसित करने में किया गया. वैसे, ऑर्गनाएड बनाने का यह पहला प्रयास नहीं है. लेकिन अब तक जो ऑर्गनाएड बनाए गए हैं वे वयस्क कोशिकाओं से लिए गए थे. लेकिन वयस्क कोशिकाओं से स्टेम सेल लेने के बहुत से नियम-कानूनहैं. गर्भ में मौजूद अमोनिक द्रव्य से कोशिकाएं लेना इन नियमों के दायरे से बाहर हैं इसलिए वैज्ञानिकों के लिए यह आसान है. नैतिकता पर बहस ब्रिटेन में गर्भपात के लिए आमतौर पर 22 हफ्ते की सीमा निर्धारित है. उसके बाद गर्भ से कोशिकाएं नहीं ली जा सकतीं. इस वजह से उस सीमा के बाद वे भ्रूण के विकास का अध्ययन कोशिकाओं के जरिए नहीं कर सकते. बाकी दुनिया में भी गर्भपात को लेकर अलग-अलग लेकिन कड़ी सीमाएं तय हैं. मैडिसन की विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी में कानून और बायोएथिक्स के मानद प्रोफेसर अल्टा चारो कहती हैं कि अमेरिका में अधिकतर राज्यों में शोध के लिए भ्रूण से उत्तक लेना वैध है. लेकिन ब्रिटेन में ऐसा नहीं है. चारो इस शोध में शामिल नहीं थीं. वह कहती हैं कि यह नया तरीका किसी तरह की नैतिक दुविधा पैदा नहीं करता. उन्होंने कहा, अमोनिक द्रव्य से कोशिकाएं लेना भ्रूण या मां के लिए किसी तरह से खतरनाक नहीं होता. इसे नियमित जांच के लिए इस्तेमाल किया ही जा रहा है. कई वैज्ञानिक इस बात से सहमत हैं. सैन फ्रांसिस्को की कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी में डिवेलपमेंटल एंड स्टेम सेल बायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ आर्नल्ड क्रीगश्टाइन कहते हैं कि इस तरीके से स्टेम सेल लेना उस भ्रूण विशेष के बारे में बहुत सी जानकारियां दे सकता है. और चूंकि अमोनिक द्रव्य से लैब में ऑर्गनाएड्स बनाने में चार से छह हफ्ते लगते हैं तो अगर अजन्मे बच्चे में कोई समस्या नजर आती है तो उसका इलाज जन्म से पहले करने के लिए काफी समय मिल सकता है. वीके/सीके (एपी)