बड़वानी में श्रद्धालुओं ने कंधों पर उठाई भगवान की पालकी:बड़वानी में श्रद्धालुओं ने कंधों पर उठाई भगवान की पालकी, मंदिर में हुए धार्मिक अनुष्ठान

बड़वानी में जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जन्मोत्सव गुरुवार को उत्साह के साथ मनाया गया। अहिंसा परमोधर्म और जीयो और जीने दो के संदेश के साथ शोभायात्रा निकाली गई। बैंडबाजों के साथ शुरू हुई शोभायात्रा जैन मंदिर में सुबह से ही धार्मिक गतिविधियां शुरू हो गईं। भगवान की नित्य पूजन, अभिषेक और शांतिधारा का आयोजन किया गया। सुबह 8:30 बजे बैंडबाजों के साथ शोभायात्रा शुरू हुई। यात्रा झंडा चौक से शुरू होकर रणजीत चौक, एमजी रोड, कालिका माता, चंचल चौराहा, गार्डन रोड और रानीपुरा होकर गुजरी। शोभायात्रा में समाज के पुरुष केसरिया और श्वेत वस्त्र धारण किए हुए थे। वे भगवान के जयघोष के साथ पालकी को कंधों पर लेकर चल रहे थे। मार्ग में श्रद्धालुओं ने अपने घरों और दुकानों के सामने श्रीजी का पूजन-दर्शन कर श्रीफल भेंट किए। शाम को होगी श्रीजी की आरती शोभायात्रा के बाद मंदिर में भगवान के कलश और शांतिधारा का आयोजन हुआ। परिसर के विभिन्न मंदिरों में ध्वज चढ़ाए गए। शाम को श्रीजी की आरती और झूले में झुलाने का कार्यक्रम रखा गया है।

बड़वानी में श्रद्धालुओं ने कंधों पर उठाई भगवान की पालकी:बड़वानी में श्रद्धालुओं ने कंधों पर उठाई भगवान की पालकी, मंदिर में हुए धार्मिक अनुष्ठान
बड़वानी में जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जन्मोत्सव गुरुवार को उत्साह के साथ मनाया गया। अहिंसा परमोधर्म और जीयो और जीने दो के संदेश के साथ शोभायात्रा निकाली गई। बैंडबाजों के साथ शुरू हुई शोभायात्रा जैन मंदिर में सुबह से ही धार्मिक गतिविधियां शुरू हो गईं। भगवान की नित्य पूजन, अभिषेक और शांतिधारा का आयोजन किया गया। सुबह 8:30 बजे बैंडबाजों के साथ शोभायात्रा शुरू हुई। यात्रा झंडा चौक से शुरू होकर रणजीत चौक, एमजी रोड, कालिका माता, चंचल चौराहा, गार्डन रोड और रानीपुरा होकर गुजरी। शोभायात्रा में समाज के पुरुष केसरिया और श्वेत वस्त्र धारण किए हुए थे। वे भगवान के जयघोष के साथ पालकी को कंधों पर लेकर चल रहे थे। मार्ग में श्रद्धालुओं ने अपने घरों और दुकानों के सामने श्रीजी का पूजन-दर्शन कर श्रीफल भेंट किए। शाम को होगी श्रीजी की आरती शोभायात्रा के बाद मंदिर में भगवान के कलश और शांतिधारा का आयोजन हुआ। परिसर के विभिन्न मंदिरों में ध्वज चढ़ाए गए। शाम को श्रीजी की आरती और झूले में झुलाने का कार्यक्रम रखा गया है।