एसएनसीयू में सुविधाओं की कमी:दो वैंटिलेटर बंद, खल रही अपडेटेड फोटोथेरीपी मशीन की कमी

सीहोर जिला अस्पताल स्थित नवजात गहन चिकित्सा इकाई में सुविधाओं का कमी जेखी जा रही है। जिसकी वजह बताई जा रही है कि जिले से सटे हुए पड़ोसी जिलों के मरीज भी यहां उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। इसलिए यहां के एसएनसीयू में जो संसाधन हैं वह कम पड़ते नजर आ रहे हैं। यदि आगामी समय में संसाधनों की बढ़ोत्तरी नहीं की गई तो यहां व्यवस्था और भी गड़बड़ाएगी। इससे उपचार कार्य प्रभावित हो सकता है। गौरतलब है कि एसएनसीयू में गंभीर मर्ज से पीड़ित नवजात शिशुओं को उपचार के लिए रखा जाता है। लेकिन यहां इन दिनों व्यवस्थाएं ठीक-ठाक नहीं चल रही हैं। यहां पर चार वैंटिलेटर हैं लेकिन लंबे समय से दो वैंटिलेटर बंद पड़े हैं जिनका लाभ शिशुओं को नहीं मिल पा रहा है। तो फोटोथेरिपी मशीनें भी काफी पुरानी हैं जबकि आधुनिक तकनीक युक्त अपग्रेडेटेड मशीनों की मांग लंबे समय से की जा रही हैं। वहीं बहुत से उपयोगी इंजेक्शन की कमी भी बनी है। जिसके चलते कई बार गंभीर मरीज को यहां से रेफर करना पड़ता है। बढ़ रही आबादी, संसाधन वहीं गौरतलब है कि एसएनसीयू में 20 शिशुओं के उपचार की व्यवस्था है लेकिन लेकिन अब जिले की भी आबादी बढ़ गई है तो वहीं आसपास के जिले शाजापुर, राजगढ, देवास के गांव के लोग भी यहां पर प्रसव कराने आते हैं और नवजात की गंभीर स्थिति होने पर उन्हें यहीं भर्ती कर लिया जाता है। इस कारण से अक्सर ही यहां क्षमता से दोगुने शिशु भर्ती रहते हैं। लेकिन संसाधन वही सीमित हैं, ऐसे में लगातार यहां दबाव बढ़ता जा रहा है। छह महीने से बंद वैंटिलेटर जानकारी के अनुसार यहां पर चार वैंटिलेटर हैं लेकिन दो वैंटिलेटर करीब छह माह से बंद पड़े हैं। इन्हें ठीक तक नहीं कराया गया है ऐसे में यह अनुपयोगी साबित रहे हैं। यहां पर चार फोटोथेरिपी मशीन हैं इन मशीनों में पीलिया रोग से ग्रसित नवजातों को रखते हैं यह मशीनें काफी पुरानी हैं और अपग्रेटेड नहीं हैं। ऐसे में यह उतनी प्रभावी साबित नहीं होती। सरफेक्टेंट इंजेक्शन की कमी एसएनसीयू में सरफेक्टेंट इंजेक्शन की काफी कमी बनी हुई है, यह इंजेक्शन काफी मंहगा होता है जो प्रीमेच्योर बेबी को लगाया जाता है, जिससे उनके फेफड़े मजबूत होते हैं। बीते कुछ दिनों से यह इंजेक्शन यहां नहीं है। प्रसूताओं की शिकायत यह भी है कि उनके साथ यहां के स्टाफ का बर्ताव अच्छा नहीं रहता है। पूछने पर वह सही जानकारी नहीं देते और नर्स परिजनों के साथ दुव्यर्वहार करती हैं। डिमांड भेजी है एसएनसीयू के प्रभारी डा जय सिंह परमार ने कहा कि जरूरत पड़ने पर पीआईसीयू का वैंटिलेटर उपयोग कर लेते हैं, अब एलईडी युक्त अपडेटेड फोटोथेरेपी मशीन इस्तेमाल की जा रही हैं जिनकी डिमांड कई बार लिखकर भेज चुके हैं। 10 सरफेक्टेंट इंजेक्शन अभी स्टाक में हैं। 100 इंजेक्शनों की मांग की गई है।

एसएनसीयू में सुविधाओं की कमी:दो वैंटिलेटर बंद, खल रही अपडेटेड फोटोथेरीपी मशीन की कमी
सीहोर जिला अस्पताल स्थित नवजात गहन चिकित्सा इकाई में सुविधाओं का कमी जेखी जा रही है। जिसकी वजह बताई जा रही है कि जिले से सटे हुए पड़ोसी जिलों के मरीज भी यहां उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। इसलिए यहां के एसएनसीयू में जो संसाधन हैं वह कम पड़ते नजर आ रहे हैं। यदि आगामी समय में संसाधनों की बढ़ोत्तरी नहीं की गई तो यहां व्यवस्था और भी गड़बड़ाएगी। इससे उपचार कार्य प्रभावित हो सकता है। गौरतलब है कि एसएनसीयू में गंभीर मर्ज से पीड़ित नवजात शिशुओं को उपचार के लिए रखा जाता है। लेकिन यहां इन दिनों व्यवस्थाएं ठीक-ठाक नहीं चल रही हैं। यहां पर चार वैंटिलेटर हैं लेकिन लंबे समय से दो वैंटिलेटर बंद पड़े हैं जिनका लाभ शिशुओं को नहीं मिल पा रहा है। तो फोटोथेरिपी मशीनें भी काफी पुरानी हैं जबकि आधुनिक तकनीक युक्त अपग्रेडेटेड मशीनों की मांग लंबे समय से की जा रही हैं। वहीं बहुत से उपयोगी इंजेक्शन की कमी भी बनी है। जिसके चलते कई बार गंभीर मरीज को यहां से रेफर करना पड़ता है। बढ़ रही आबादी, संसाधन वहीं गौरतलब है कि एसएनसीयू में 20 शिशुओं के उपचार की व्यवस्था है लेकिन लेकिन अब जिले की भी आबादी बढ़ गई है तो वहीं आसपास के जिले शाजापुर, राजगढ, देवास के गांव के लोग भी यहां पर प्रसव कराने आते हैं और नवजात की गंभीर स्थिति होने पर उन्हें यहीं भर्ती कर लिया जाता है। इस कारण से अक्सर ही यहां क्षमता से दोगुने शिशु भर्ती रहते हैं। लेकिन संसाधन वही सीमित हैं, ऐसे में लगातार यहां दबाव बढ़ता जा रहा है। छह महीने से बंद वैंटिलेटर जानकारी के अनुसार यहां पर चार वैंटिलेटर हैं लेकिन दो वैंटिलेटर करीब छह माह से बंद पड़े हैं। इन्हें ठीक तक नहीं कराया गया है ऐसे में यह अनुपयोगी साबित रहे हैं। यहां पर चार फोटोथेरिपी मशीन हैं इन मशीनों में पीलिया रोग से ग्रसित नवजातों को रखते हैं यह मशीनें काफी पुरानी हैं और अपग्रेटेड नहीं हैं। ऐसे में यह उतनी प्रभावी साबित नहीं होती। सरफेक्टेंट इंजेक्शन की कमी एसएनसीयू में सरफेक्टेंट इंजेक्शन की काफी कमी बनी हुई है, यह इंजेक्शन काफी मंहगा होता है जो प्रीमेच्योर बेबी को लगाया जाता है, जिससे उनके फेफड़े मजबूत होते हैं। बीते कुछ दिनों से यह इंजेक्शन यहां नहीं है। प्रसूताओं की शिकायत यह भी है कि उनके साथ यहां के स्टाफ का बर्ताव अच्छा नहीं रहता है। पूछने पर वह सही जानकारी नहीं देते और नर्स परिजनों के साथ दुव्यर्वहार करती हैं। डिमांड भेजी है एसएनसीयू के प्रभारी डा जय सिंह परमार ने कहा कि जरूरत पड़ने पर पीआईसीयू का वैंटिलेटर उपयोग कर लेते हैं, अब एलईडी युक्त अपडेटेड फोटोथेरेपी मशीन इस्तेमाल की जा रही हैं जिनकी डिमांड कई बार लिखकर भेज चुके हैं। 10 सरफेक्टेंट इंजेक्शन अभी स्टाक में हैं। 100 इंजेक्शनों की मांग की गई है।