70 भाषा-बोलियों की पुस्तकों का संकलन

रायपुर, 13 फरवरी। चरामेति फाउंडेशन के अध्यक्ष राजेन्द्र ओझा ने बताया कि वे पिछले लगभग दो वर्ष से देश के प्राय: हर प्रदेश की भाषा / बोलियों की पुस्तकें आदि संकलित कर रहे हैं एवं अब तक लगभग 70 भाषा / बोलियों की पुस्तकें आदि उनके पास एकत्रित हो चुकी है। श्री ओझा ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ी, सरगूजिहा, गोंडी, हल्बी, भतरी के अतिरिक्त आपके पास बिहार की अंगिका, बज्जिका, झारखंड की कुड़ुख, कुड़माली, मुण्डारी, हो, उत्तराखंड की कुमांउनी, रवाल्टी, सिक्किम की लेप्चा, लिम्बु, त्रिपुरा की कोकबोरोक, हिमाचल की महासुबी, बघाटी, कांगडी आदि भाषा-बोलियों की पुस्तकों का संकलन है।

70 भाषा-बोलियों की पुस्तकों का संकलन
रायपुर, 13 फरवरी। चरामेति फाउंडेशन के अध्यक्ष राजेन्द्र ओझा ने बताया कि वे पिछले लगभग दो वर्ष से देश के प्राय: हर प्रदेश की भाषा / बोलियों की पुस्तकें आदि संकलित कर रहे हैं एवं अब तक लगभग 70 भाषा / बोलियों की पुस्तकें आदि उनके पास एकत्रित हो चुकी है। श्री ओझा ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ी, सरगूजिहा, गोंडी, हल्बी, भतरी के अतिरिक्त आपके पास बिहार की अंगिका, बज्जिका, झारखंड की कुड़ुख, कुड़माली, मुण्डारी, हो, उत्तराखंड की कुमांउनी, रवाल्टी, सिक्किम की लेप्चा, लिम्बु, त्रिपुरा की कोकबोरोक, हिमाचल की महासुबी, बघाटी, कांगडी आदि भाषा-बोलियों की पुस्तकों का संकलन है।