साकेतनगर कालीबाड़ी में नवपत्रिका पूजा के साथ धुनुची पूजा आज:महासप्तमी पर दस तरह के तेल व सात जगहों के जल से मां का महास्नान
साकेतनगर कालीबाड़ी में नवपत्रिका पूजा के साथ धुनुची पूजा आज:महासप्तमी पर दस तरह के तेल व सात जगहों के जल से मां का महास्नान
भोपाल में बंगाली समाज के सभी कालीबाड़ियों में बुधवार को घट स्थापना के साथ दुर्गा पूजा महोत्सव का शुभारंभ हुआ। कोलकाता से विशेष रूप से पहुंचे पुरोहितों ने नवरात्र की षष्ठी पर बड़ा मुहूर्त में बिल्व बरोन पूजा-अर्चना की। वहीं आज नवपत्रिका पूजा और धुनुची पूजा की जाएगी। साकेत नगर कालीबाड़ी में मां दुर्गा को बोधोन(मां का आगमन) व अधिबास (प्राण प्रतिष्ठा) किया गया। महिलाओं ने मां के आगमन की खुशी में डाक की ध्वनि पर मिलकर नृत्य किया। नवपत्रिका का मंडप प्रवेश साकेत नगर कालीबाड़ी समिति व पूजा कमेटी के सभापति अमित चक्रवर्ती ने बताया कि दुर्गा पूजा में नौ पत्तों यानी नवपत्रिका (कोलाबोऊ) का विशेष महत्व है। गुरुवार को महासप्तमी पर नवपत्रिका का प्रवेश दुर्गा मंडप में कराने के बाद माता का आह्वान किया जाएगा। इससे पहले सुबह नवपत्रिका को स्नान कराकर मंडप में गणेश की प्रतिमा के दाहिने में इसे स्थापित किया गया।। इसे नई साड़ी में लपेटा जाता है और सिंदूर का लेप लगाया जाता है। नवपत्रिका को भगवान गणेश की पत्नी का प्रतीक मानकर पूजा की जाती है। मां का सात जगहों के जल से हुआ महास्नान बंगाली एसोसिएशन के सदस्य ने बताया कि बांग्ला पद्धति में दुर्गा पूजा में पहले दिन षष्ठी में बिल्व बरोन (बिल्व वरण) पूजा हुई। इसके तहत मां को प्रतीक रूप में बेल के पेड़ के नीचे स्थापित किया गया। इसे बिल्व निमंत्रण कहा जाता है। इस तरह मां का आगमन होता है। उन्होंने बताया कि मां दुर्गा को दस तरह के तेल व हिमालय के बर्फ का जल समेत सात जगहों के जल से महास्नान कराया गया है। वहीं देवी के लिए विष्णु, महानारायण, जवाकुसुम सहित दस तरह के सुगंधित तेल बनाए गए। महास्नान अभिषेक के पहले यह तेल देवी को अर्पित किया गया है।
भोपाल में बंगाली समाज के सभी कालीबाड़ियों में बुधवार को घट स्थापना के साथ दुर्गा पूजा महोत्सव का शुभारंभ हुआ। कोलकाता से विशेष रूप से पहुंचे पुरोहितों ने नवरात्र की षष्ठी पर बड़ा मुहूर्त में बिल्व बरोन पूजा-अर्चना की। वहीं आज नवपत्रिका पूजा और धुनुची पूजा की जाएगी। साकेत नगर कालीबाड़ी में मां दुर्गा को बोधोन(मां का आगमन) व अधिबास (प्राण प्रतिष्ठा) किया गया। महिलाओं ने मां के आगमन की खुशी में डाक की ध्वनि पर मिलकर नृत्य किया। नवपत्रिका का मंडप प्रवेश साकेत नगर कालीबाड़ी समिति व पूजा कमेटी के सभापति अमित चक्रवर्ती ने बताया कि दुर्गा पूजा में नौ पत्तों यानी नवपत्रिका (कोलाबोऊ) का विशेष महत्व है। गुरुवार को महासप्तमी पर नवपत्रिका का प्रवेश दुर्गा मंडप में कराने के बाद माता का आह्वान किया जाएगा। इससे पहले सुबह नवपत्रिका को स्नान कराकर मंडप में गणेश की प्रतिमा के दाहिने में इसे स्थापित किया गया।। इसे नई साड़ी में लपेटा जाता है और सिंदूर का लेप लगाया जाता है। नवपत्रिका को भगवान गणेश की पत्नी का प्रतीक मानकर पूजा की जाती है। मां का सात जगहों के जल से हुआ महास्नान बंगाली एसोसिएशन के सदस्य ने बताया कि बांग्ला पद्धति में दुर्गा पूजा में पहले दिन षष्ठी में बिल्व बरोन (बिल्व वरण) पूजा हुई। इसके तहत मां को प्रतीक रूप में बेल के पेड़ के नीचे स्थापित किया गया। इसे बिल्व निमंत्रण कहा जाता है। इस तरह मां का आगमन होता है। उन्होंने बताया कि मां दुर्गा को दस तरह के तेल व हिमालय के बर्फ का जल समेत सात जगहों के जल से महास्नान कराया गया है। वहीं देवी के लिए विष्णु, महानारायण, जवाकुसुम सहित दस तरह के सुगंधित तेल बनाए गए। महास्नान अभिषेक के पहले यह तेल देवी को अर्पित किया गया है।