पितृ पक्ष आज से शुरू:2अक्टूबर तक नहीं होंगे शुभ कार्य, पितरों का तर्पण करने नर्मदा घाट पहुंचे लोग

भाद्रपद माह की शुक्ल पूर्णिमा बुधवार से पितृपक्ष शुरू हुए। सुबह से सैकड़ों लोग अपने पितरों का तर्पण करने मां नर्मदा के घाटों पर पहुंचे। सेठानी घाट, विवेकानंद घाट, गोंदरी घाट पर पुजारियों ने तर्पण कराया। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध का आरंभ माना जाता है। एक दिन पूर्णिमा का और 15 दिन कृष्ण पक्ष के कुल मिलाकर के 16 श्राद्ध की श्रेणी में आते है। लेकिन इस बार प्रतिपदा तिथि के क्षय होने से पूर्णिमा और प्रतिपदा के श्राद्ध एक ही दिन यानी आज बुधवार को हुए। पितृ पक्ष के दौरान मान्यता है कि पितर धरती लोक पर आते हैं और अपने परिजनों के आसपास रहते हैं। इस समय तर्पण, पूजा-अर्चना और श्राद्ध करके नदी, तालाब आदि स्थलों पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है। बुधादित्य व शश योग में श्राद्ध पक्ष इस बार श्राद्ध पूर्वा भद्रपद नक्षत्र, बुधवार को मीन राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में आरंभ हुआ। ग्रहों में बुध आदित्य योग और शनि का शशयोग विद्यमान रहेगा। इस योग में श्राद्ध का आरंभ अच्छा माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र से देखें तो सूर्य परम कारक ग्रह बताए जाते हैं। वहीं शनि का संबंध यम से माना जाता है। ऐसी स्थिति में जब सूर्य की तपिश पड़ती है व शनि का प्रभाव स्थापित होता है तो पितरों का अपना प्रभाव बढ़ जाता है। सरल तर्पण विधि किस दिनांक में कौन सी तिथि का करें श्राद्ध

पितृ पक्ष आज से शुरू:2अक्टूबर तक नहीं होंगे शुभ कार्य, पितरों का तर्पण करने नर्मदा घाट पहुंचे लोग
भाद्रपद माह की शुक्ल पूर्णिमा बुधवार से पितृपक्ष शुरू हुए। सुबह से सैकड़ों लोग अपने पितरों का तर्पण करने मां नर्मदा के घाटों पर पहुंचे। सेठानी घाट, विवेकानंद घाट, गोंदरी घाट पर पुजारियों ने तर्पण कराया। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध का आरंभ माना जाता है। एक दिन पूर्णिमा का और 15 दिन कृष्ण पक्ष के कुल मिलाकर के 16 श्राद्ध की श्रेणी में आते है। लेकिन इस बार प्रतिपदा तिथि के क्षय होने से पूर्णिमा और प्रतिपदा के श्राद्ध एक ही दिन यानी आज बुधवार को हुए। पितृ पक्ष के दौरान मान्यता है कि पितर धरती लोक पर आते हैं और अपने परिजनों के आसपास रहते हैं। इस समय तर्पण, पूजा-अर्चना और श्राद्ध करके नदी, तालाब आदि स्थलों पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है। बुधादित्य व शश योग में श्राद्ध पक्ष इस बार श्राद्ध पूर्वा भद्रपद नक्षत्र, बुधवार को मीन राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में आरंभ हुआ। ग्रहों में बुध आदित्य योग और शनि का शशयोग विद्यमान रहेगा। इस योग में श्राद्ध का आरंभ अच्छा माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र से देखें तो सूर्य परम कारक ग्रह बताए जाते हैं। वहीं शनि का संबंध यम से माना जाता है। ऐसी स्थिति में जब सूर्य की तपिश पड़ती है व शनि का प्रभाव स्थापित होता है तो पितरों का अपना प्रभाव बढ़ जाता है। सरल तर्पण विधि किस दिनांक में कौन सी तिथि का करें श्राद्ध