टेम्पल ऑफ संबोधि में दुर्गा महोत्सव का समापन:वेदांत संत लाल साईं ने समझाया प्रभु भक्ति का महत्व
टेम्पल ऑफ संबोधि में दुर्गा महोत्सव का समापन:वेदांत संत लाल साईं ने समझाया प्रभु भक्ति का महत्व
दुर्गा महोत्सव के समापन पर दशहरे के दिन वन ट्री हिल्स कॉलोनी स्थित टेम्पल ऑफ संबोधि में विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया गया। नवरात्रि का समापन शुक्रवार को हो गया था, लेकिन परंपरा के अनुसार यहां दशहरे के दिन दुर्गा माता की प्रतिमा का विसर्जन किया गया। यहां वेदांत संत लाल साई महाराज ने प्रभु भक्ति का महत्व समझाया कि जीवन की भाग-दौड़ में हम अक्सर भूल जाते हैं कि मृत्यु अटल है। यह एक ऐसी सच्चाई है जो हर प्राणी को किसी भी उम्र में, किसी भी स्थिति में स्पर्श कर सकती है। इसलिए, हमें जीवन के इस अनिश्चित सत्य को समझकर ईश्वर की आराधना को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिए। हम असमय काल के गाल में समा जाते हैं। इसलिए इसी क्षण से ईश्वर की आराधना में जुट जाएं। साई ने भगवती की प्राण प्रतिष्ठा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि माँ भवानी की विधि विधान से हवन, मंत्र जाप से प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। उसके बाद माँ भवानी की यह मूर्ति मात्र मिट्टी की मूर्ति ही नहीं रहती बल्कि साक्षात माँ जगदम्बा होती है और जब मां जगदम्बा की इस मूर्ति का विसर्जन किया जाता है इसका बड़ा संदेश है कि हम सब को भी विसर्जित होना है लेकिन इससे पहले अपने प्राणों में ईश्वर के प्रति प्रेम होना चाहिए । इसके लिए तुम्हें अपने मन रूपी गंगा में डुबकी लगानी होगी । यह सनातन धर्म की सबसे बड़ी खूबसूरती है कि त्योहार हमें वेदांत का मर्म इतनी सरलता से समझा देते हैं।
वेदांत संत लाल साई महाराज ने आगे कहा कि हमारी भक्ति ही हमें असल में शांति और सुकून प्रदान कर सकती है। भक्ति का यह मार्ग हमें उस परमात्मा से जोड़ता है, जो अनंत और अजेय है। इस अवसर पर मां अम्बे की आरती के भव्य आयोजन में वेदांत संत लाल साई महाराज के भ्राता घनश्याम बूलचंदानी, सिंधी सेंट्रल पंचायत के महासचिव सुरेश जसवानी, पूज्य सिंधी पंचायत के महासचिव माधु चांदवानी, बसंत चेलानी,नरेश तोलानी सहित अनेक गणमान्य शामिल हुए और भगवती की आरती आराधना की। कार्यक्रम का संचालन रमेश हिमथानी ने किया।
दुर्गा महोत्सव के समापन पर दशहरे के दिन वन ट्री हिल्स कॉलोनी स्थित टेम्पल ऑफ संबोधि में विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया गया। नवरात्रि का समापन शुक्रवार को हो गया था, लेकिन परंपरा के अनुसार यहां दशहरे के दिन दुर्गा माता की प्रतिमा का विसर्जन किया गया। यहां वेदांत संत लाल साई महाराज ने प्रभु भक्ति का महत्व समझाया कि जीवन की भाग-दौड़ में हम अक्सर भूल जाते हैं कि मृत्यु अटल है। यह एक ऐसी सच्चाई है जो हर प्राणी को किसी भी उम्र में, किसी भी स्थिति में स्पर्श कर सकती है। इसलिए, हमें जीवन के इस अनिश्चित सत्य को समझकर ईश्वर की आराधना को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिए। हम असमय काल के गाल में समा जाते हैं। इसलिए इसी क्षण से ईश्वर की आराधना में जुट जाएं। साई ने भगवती की प्राण प्रतिष्ठा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि माँ भवानी की विधि विधान से हवन, मंत्र जाप से प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। उसके बाद माँ भवानी की यह मूर्ति मात्र मिट्टी की मूर्ति ही नहीं रहती बल्कि साक्षात माँ जगदम्बा होती है और जब मां जगदम्बा की इस मूर्ति का विसर्जन किया जाता है इसका बड़ा संदेश है कि हम सब को भी विसर्जित होना है लेकिन इससे पहले अपने प्राणों में ईश्वर के प्रति प्रेम होना चाहिए । इसके लिए तुम्हें अपने मन रूपी गंगा में डुबकी लगानी होगी । यह सनातन धर्म की सबसे बड़ी खूबसूरती है कि त्योहार हमें वेदांत का मर्म इतनी सरलता से समझा देते हैं।
वेदांत संत लाल साई महाराज ने आगे कहा कि हमारी भक्ति ही हमें असल में शांति और सुकून प्रदान कर सकती है। भक्ति का यह मार्ग हमें उस परमात्मा से जोड़ता है, जो अनंत और अजेय है। इस अवसर पर मां अम्बे की आरती के भव्य आयोजन में वेदांत संत लाल साई महाराज के भ्राता घनश्याम बूलचंदानी, सिंधी सेंट्रल पंचायत के महासचिव सुरेश जसवानी, पूज्य सिंधी पंचायत के महासचिव माधु चांदवानी, बसंत चेलानी,नरेश तोलानी सहित अनेक गणमान्य शामिल हुए और भगवती की आरती आराधना की। कार्यक्रम का संचालन रमेश हिमथानी ने किया।