कोंडागांव में बहुभाषा शिक्षा पर दो दिनी प्रशिक्षण

छत्तीसगढ़ संवाददाता कोंडागांव, 21 मई। राज्य शैक्षिक एवं अनुसंधान परिषद रायपुर के निर्देशानुसार कोंडागाँव जिला शिक्षा अधिकारी भारती प्रधान एवं डीएमसी एमिल बघेल के मार्गदर्शन में कोंडागांव जिला मुख्यालय स्थित बीआरसी (ब्लॉक रिसोर्स सेंटर) भवन में बहुभाषा शिक्षा विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बस्तर डाइट के व्याख्याता राजेन्द्र जोशी, बहुभाषा शिक्षा के जिला नोडल अधिकारी श्रीनिवास नायडू, बीआरसी कोंडागांव मालती ध्रुव, बीआरपी नरेश ठाकुर एवं अशोक साहू मंच पर उपस्थित रहे। प्रशिक्षण में कोंडागांव जिले के विभिन्न विकासखंडों - माकड़ी, फरसगांव, केशकाल, बड़ेराजपुर एवं कोंडागाँव से कुल 47 शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भाग लिया। प्रशिक्षण का उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में बहुभाषिकता को प्रोत्साहित करना तथा बच्चों को मातृभाषा में सीखने का अवसर देना है। मुख्य अतिथि श्री जोशी ने उद्घाटन भाषण में कहा, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में जहाँ अनेक भाषाई समूह निवास करते हैं, बहुभाषा शिक्षा न केवल बालकों के समग्र विकास में सहायक है, बल्कि यह उन्हें अपनी संस्कृति से जोडऩे का भी कार्य करती है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रारंभिक कक्षाओं में मातृभाषा के माध्यम से शिक्षण बच्चों की सीखने की क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है।प्रशिक्षण के प्रथम सत्र में मास्टर ट्रेनर श्रवण मानिकपुरी, पुरुषोत्तम पोयाम एवं बृजलाल यादव ने बहुभाषा शिक्षा की अवधारणा, उद्देश्यों, महत्व तथा क्रियान्वयन की विधियों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने प्रशिक्षण को पारंपरिक व्याख्यान शैली के स्थान पर संवादात्मक और हास्य-व्यंग्य से भरपूर मनोरंजक तरीकों से प्रस्तुत किया, जिससे प्रतिभागी शिक्षक उत्साहित नजर आए। प्रशिक्षकों ने बताया कि बहुभाषा शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को उनकी मातृभाषा में सहज रूप से सीखने का वातावरण प्रदान करना है। इसके अंतर्गत बच्चों को पहले अपनी मातृभाषा में पढऩे-लिखने की क्षमता विकसित की जाती है और धीरे-धीरे राज्य भाषा एवं राष्ट्र भाषा की ओर बढ़ाया जाता है। यह प्रक्रिया बालकों के भाषाई विकास के साथ-साथ उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाती है। कार्यक्रम में बीआरसी कोंडागाँव की मालती ध्रुव ने कहा कि बहुभाषा शिक्षा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसे हम सभी को मिलकर विद्यालयों में लागू करना है। वहीं नोडल अधिकारी श्री श्रीनिवास नायडू ने कहा किबच्चों की पहली भाषा में शिक्षा देना उनका मूलभूत अधिकार है, और हम सभी का दायित्व है कि उन्हें यह वातावरण सुनिश्चित करें। प्रशिक्षण का प्रथम चरण 19 एवं 20 मई को आयोजित किया जा रहा है, जबकि द्वितीय चरण 21 से 22 मई तक आयोजित होगा। दोनों चरणों में विभिन्न गतिविधियों, समूह चर्चाओं, भाषाई खेलों एवं उदाहरणों के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रतिभागी शिक्षकों ने भी सक्रिय रूप से इन गतिविधियों में भाग लिया और अपनी जिज्ञासाओं को साझा किया।

कोंडागांव में बहुभाषा शिक्षा पर दो दिनी प्रशिक्षण
छत्तीसगढ़ संवाददाता कोंडागांव, 21 मई। राज्य शैक्षिक एवं अनुसंधान परिषद रायपुर के निर्देशानुसार कोंडागाँव जिला शिक्षा अधिकारी भारती प्रधान एवं डीएमसी एमिल बघेल के मार्गदर्शन में कोंडागांव जिला मुख्यालय स्थित बीआरसी (ब्लॉक रिसोर्स सेंटर) भवन में बहुभाषा शिक्षा विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बस्तर डाइट के व्याख्याता राजेन्द्र जोशी, बहुभाषा शिक्षा के जिला नोडल अधिकारी श्रीनिवास नायडू, बीआरसी कोंडागांव मालती ध्रुव, बीआरपी नरेश ठाकुर एवं अशोक साहू मंच पर उपस्थित रहे। प्रशिक्षण में कोंडागांव जिले के विभिन्न विकासखंडों - माकड़ी, फरसगांव, केशकाल, बड़ेराजपुर एवं कोंडागाँव से कुल 47 शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भाग लिया। प्रशिक्षण का उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में बहुभाषिकता को प्रोत्साहित करना तथा बच्चों को मातृभाषा में सीखने का अवसर देना है। मुख्य अतिथि श्री जोशी ने उद्घाटन भाषण में कहा, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में जहाँ अनेक भाषाई समूह निवास करते हैं, बहुभाषा शिक्षा न केवल बालकों के समग्र विकास में सहायक है, बल्कि यह उन्हें अपनी संस्कृति से जोडऩे का भी कार्य करती है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रारंभिक कक्षाओं में मातृभाषा के माध्यम से शिक्षण बच्चों की सीखने की क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है।प्रशिक्षण के प्रथम सत्र में मास्टर ट्रेनर श्रवण मानिकपुरी, पुरुषोत्तम पोयाम एवं बृजलाल यादव ने बहुभाषा शिक्षा की अवधारणा, उद्देश्यों, महत्व तथा क्रियान्वयन की विधियों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने प्रशिक्षण को पारंपरिक व्याख्यान शैली के स्थान पर संवादात्मक और हास्य-व्यंग्य से भरपूर मनोरंजक तरीकों से प्रस्तुत किया, जिससे प्रतिभागी शिक्षक उत्साहित नजर आए। प्रशिक्षकों ने बताया कि बहुभाषा शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को उनकी मातृभाषा में सहज रूप से सीखने का वातावरण प्रदान करना है। इसके अंतर्गत बच्चों को पहले अपनी मातृभाषा में पढऩे-लिखने की क्षमता विकसित की जाती है और धीरे-धीरे राज्य भाषा एवं राष्ट्र भाषा की ओर बढ़ाया जाता है। यह प्रक्रिया बालकों के भाषाई विकास के साथ-साथ उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाती है। कार्यक्रम में बीआरसी कोंडागाँव की मालती ध्रुव ने कहा कि बहुभाषा शिक्षा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसे हम सभी को मिलकर विद्यालयों में लागू करना है। वहीं नोडल अधिकारी श्री श्रीनिवास नायडू ने कहा किबच्चों की पहली भाषा में शिक्षा देना उनका मूलभूत अधिकार है, और हम सभी का दायित्व है कि उन्हें यह वातावरण सुनिश्चित करें। प्रशिक्षण का प्रथम चरण 19 एवं 20 मई को आयोजित किया जा रहा है, जबकि द्वितीय चरण 21 से 22 मई तक आयोजित होगा। दोनों चरणों में विभिन्न गतिविधियों, समूह चर्चाओं, भाषाई खेलों एवं उदाहरणों के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रतिभागी शिक्षकों ने भी सक्रिय रूप से इन गतिविधियों में भाग लिया और अपनी जिज्ञासाओं को साझा किया।