रवींद्र भवन में श्रीराम के 36 गुणों का चित्र कथन:भारत के विभिन्न कलाकारों ने अलग-अलग शैलियों में किया वर्णन

मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम धरती के सबसे श्रेष्ठतम मनुष्य थे, वाल्मीकि रामायण के आरंभ में भगवान के 36 गुणों का जिक्र किया गया है, जिनके चित्र कथन की प्रदर्शनी इन दिनों भोपाल के रविन्द्र भवन के मुक्ताकाश मंच में लगाई गई है। जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। राम के इन गुणों को भारत के विभिन्न कलाकारों ने अलग-अलग शैलियों में रचा है। प्रदर्शनी में सबसे पहले जनप्रिय श्रीराम के गुण को दर्शाया गया है, जिसमें श्रीराम का लक्ष्मण और सीता सहित वनगमन के लिए प्रस्थान करना। जिससे व्याकुल अयोध्या वासियों के साथ ही अन्य जीव-जन्तु भी दुखी हो जाते हैं। मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग की ओर से रवींद्र भवन के मुक्ताकाश मंच में 18 से 24 अक्टूबर तक श्रीरामलीला उत्स्स्व का आयोजन किया जा रहा है। 7 दिनी उत्सव में श्रीरामकथा से जुड़े अलग-अलग प्रसंगों की लीलाएं प्रस्तुति की जाएंगी। जनजातीय संग्रहालय के क्यरेटर(प्रभारी) अशोक मिश्रा ने बताया कि राम के 36 गुणों को भारत के अलग अलग कलाकारों द्वारा अलग अलग शैलियों में रचा गया है, जिसकी प्रदर्शनी यहां लगाई गई है। श्रीमद वाल्मीकि रामायण में इस बात का जिक्र किया गया है कि भगवान राम के वो 36 गुण क्या हैं जिसके कारण वो इस धरती के श्रेष्ठतम मनुष्य हैं। मिश्रा ने आगे बताया कि भगवान के एक एक गुण एक एक गुण अलग अलग कलाकारों को भेजकर स्थानीय चित्र शैली में अभिव्यक्त कराया गया है। मूल रुप से सारा संग्रह ओऱछा श्रीरामराजा सरकार मंदिर परिसर में है, उसकी प्रतिकृति की प्रदर्शनी यहां लगाई गई है। सभासद द्वारा बताये गए श्रीराम के गुण राजा दशरथ के सभासदों से पूछने पर कि "मैं धर्मपूर्वक पृथ्वी का निरंतर पालन कर रहा हूँ, फिर मेरे रहते आप लोग श्रीराम को युवराज के रूप में क्यों देखना चाहते हैं?" यह सुनकर सभासदों ने कहा- महाराज ! श्रीराम में बहुत से कल्याणकारी सद्गुण हैं। नारद राम के गुणों का बखान करते हैं। आइए आपको बताते हैं भगवान श्री राम के 36 गुण

रवींद्र भवन में श्रीराम के 36 गुणों का चित्र कथन:भारत के विभिन्न कलाकारों ने अलग-अलग शैलियों में किया वर्णन
मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम धरती के सबसे श्रेष्ठतम मनुष्य थे, वाल्मीकि रामायण के आरंभ में भगवान के 36 गुणों का जिक्र किया गया है, जिनके चित्र कथन की प्रदर्शनी इन दिनों भोपाल के रविन्द्र भवन के मुक्ताकाश मंच में लगाई गई है। जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। राम के इन गुणों को भारत के विभिन्न कलाकारों ने अलग-अलग शैलियों में रचा है। प्रदर्शनी में सबसे पहले जनप्रिय श्रीराम के गुण को दर्शाया गया है, जिसमें श्रीराम का लक्ष्मण और सीता सहित वनगमन के लिए प्रस्थान करना। जिससे व्याकुल अयोध्या वासियों के साथ ही अन्य जीव-जन्तु भी दुखी हो जाते हैं। मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग की ओर से रवींद्र भवन के मुक्ताकाश मंच में 18 से 24 अक्टूबर तक श्रीरामलीला उत्स्स्व का आयोजन किया जा रहा है। 7 दिनी उत्सव में श्रीरामकथा से जुड़े अलग-अलग प्रसंगों की लीलाएं प्रस्तुति की जाएंगी। जनजातीय संग्रहालय के क्यरेटर(प्रभारी) अशोक मिश्रा ने बताया कि राम के 36 गुणों को भारत के अलग अलग कलाकारों द्वारा अलग अलग शैलियों में रचा गया है, जिसकी प्रदर्शनी यहां लगाई गई है। श्रीमद वाल्मीकि रामायण में इस बात का जिक्र किया गया है कि भगवान राम के वो 36 गुण क्या हैं जिसके कारण वो इस धरती के श्रेष्ठतम मनुष्य हैं। मिश्रा ने आगे बताया कि भगवान के एक एक गुण एक एक गुण अलग अलग कलाकारों को भेजकर स्थानीय चित्र शैली में अभिव्यक्त कराया गया है। मूल रुप से सारा संग्रह ओऱछा श्रीरामराजा सरकार मंदिर परिसर में है, उसकी प्रतिकृति की प्रदर्शनी यहां लगाई गई है। सभासद द्वारा बताये गए श्रीराम के गुण राजा दशरथ के सभासदों से पूछने पर कि "मैं धर्मपूर्वक पृथ्वी का निरंतर पालन कर रहा हूँ, फिर मेरे रहते आप लोग श्रीराम को युवराज के रूप में क्यों देखना चाहते हैं?" यह सुनकर सभासदों ने कहा- महाराज ! श्रीराम में बहुत से कल्याणकारी सद्गुण हैं। नारद राम के गुणों का बखान करते हैं। आइए आपको बताते हैं भगवान श्री राम के 36 गुण