घर-घर मनाया जा रहा मकर संक्रांति पर्व:सुबह से मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़, गरीबों में बांट रहे गजक-कंबल
घर-घर मनाया जा रहा मकर संक्रांति पर्व:सुबह से मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़, गरीबों में बांट रहे गजक-कंबल
ग्वालियर में मकर संक्रांति पर्व मनाया जा रहा है। मंगलवार को सुबह-सुबह शहर के लोगों ने मंदिरों में पहुंचकर भगवान के दर्शन किए और सुख-समृद्धि की कामना की। भगवान को तिल-मिष्ठान का भोग लगाकर प्रसाद चढ़ाया गया। इसके साथ ही भजन-कीर्तन भी किए गए। संक्रांति के अवसर पर दान का विशेष महत्व है। इसी कारण मंदिरों के आसपास बैठने वाले गरीब और बेसहारा लोगों को तिल-मिष्ठान, गजक और कंबल सहित अन्य गर्म कपड़े वितरित किए गए। संक्रांति पर्व पर पतंगबाजी का भी खास महत्व है। शहर में कुछ सामाजिक संस्थाओं और संगठनों ने पतंगबाजी भी की। सूर्य मंदिर में पहली किरण के साथ हुई संक्रांति की पूजा ग्वालियर के सूर्य मंदिर में पहली किरण के साथ संक्रांति की पूजा की गई। मकर संक्रांति पर सूर्य भगवान की आराधना की जाती है। सूर्य की पहली किरण के साथ विशेष पूजा-अर्चना हुई। इसके चलते श्रद्धालु गोला का मंदिर स्थित सूर्य मंदिर पहुंचे। मंगलवार सुबह भगवान सूर्य की आराधना के लिए बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने सुबह जल्दी उठकर गंगाजल मिलाकर स्नान किया। इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर आराधना की। इसके साथ ही शहर के मंदिरों में पहुंचे श्रद्धालुओं ने भगवान को तिल-मिष्ठान और खिचड़ी अर्पित की। साथ ही दान देकर पुण्य अर्जित किया। मंदिरों में दिखी मकर संक्रांति की रौनक अचलेश्वर महादेव और सनातन धर्म मंदिर में भी मकर संक्रांति पर्व श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया। भगवान चक्रधर के दर्शन और दान-पुण्य के लाभ के लिए सुबह से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया। भक्तों ने भगवान को खिचड़ी, तिल और गजक अर्पित की। मुख्य पुजारी ने भगवान श्री चक्रधर और श्री गिरिराजधरण का विशेष श्रृंगार किया। भगवान को नई पोशाक, माला और पगड़ी पहनाई गई। मोरपंख माथे पर धारण कराया गया और गले में तुलसी की माला और वनमाला पहनाई गई। मकर राशि में सूर्य के प्रवेश से सहालग शुरू मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। एक माह से चल रहा धनुर्मास (खरमास) समाप्त हो गया है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ दिन तिल-तिल बढ़ने लगते हैं। मकर संक्रांति को देवताओं का प्रभातकाल कहा जाता है। 16 जनवरी से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी। जनवरी में विवाह के 8 शुभ मुहूर्त हैं। मकर संक्रांति के दिन गणेश मंदिर, हनुमान मंदिर, शिव मंदिर और सूर्य मंदिर सहित अन्य प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ते हैं। तिल-गुड़ और उससे बने व्यंजन अर्पित कर दान का पुण्य कमाया जाता है।
ग्वालियर में मकर संक्रांति पर्व मनाया जा रहा है। मंगलवार को सुबह-सुबह शहर के लोगों ने मंदिरों में पहुंचकर भगवान के दर्शन किए और सुख-समृद्धि की कामना की। भगवान को तिल-मिष्ठान का भोग लगाकर प्रसाद चढ़ाया गया। इसके साथ ही भजन-कीर्तन भी किए गए। संक्रांति के अवसर पर दान का विशेष महत्व है। इसी कारण मंदिरों के आसपास बैठने वाले गरीब और बेसहारा लोगों को तिल-मिष्ठान, गजक और कंबल सहित अन्य गर्म कपड़े वितरित किए गए। संक्रांति पर्व पर पतंगबाजी का भी खास महत्व है। शहर में कुछ सामाजिक संस्थाओं और संगठनों ने पतंगबाजी भी की। सूर्य मंदिर में पहली किरण के साथ हुई संक्रांति की पूजा ग्वालियर के सूर्य मंदिर में पहली किरण के साथ संक्रांति की पूजा की गई। मकर संक्रांति पर सूर्य भगवान की आराधना की जाती है। सूर्य की पहली किरण के साथ विशेष पूजा-अर्चना हुई। इसके चलते श्रद्धालु गोला का मंदिर स्थित सूर्य मंदिर पहुंचे। मंगलवार सुबह भगवान सूर्य की आराधना के लिए बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने सुबह जल्दी उठकर गंगाजल मिलाकर स्नान किया। इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर आराधना की। इसके साथ ही शहर के मंदिरों में पहुंचे श्रद्धालुओं ने भगवान को तिल-मिष्ठान और खिचड़ी अर्पित की। साथ ही दान देकर पुण्य अर्जित किया। मंदिरों में दिखी मकर संक्रांति की रौनक अचलेश्वर महादेव और सनातन धर्म मंदिर में भी मकर संक्रांति पर्व श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया। भगवान चक्रधर के दर्शन और दान-पुण्य के लाभ के लिए सुबह से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया। भक्तों ने भगवान को खिचड़ी, तिल और गजक अर्पित की। मुख्य पुजारी ने भगवान श्री चक्रधर और श्री गिरिराजधरण का विशेष श्रृंगार किया। भगवान को नई पोशाक, माला और पगड़ी पहनाई गई। मोरपंख माथे पर धारण कराया गया और गले में तुलसी की माला और वनमाला पहनाई गई। मकर राशि में सूर्य के प्रवेश से सहालग शुरू मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। एक माह से चल रहा धनुर्मास (खरमास) समाप्त हो गया है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ दिन तिल-तिल बढ़ने लगते हैं। मकर संक्रांति को देवताओं का प्रभातकाल कहा जाता है। 16 जनवरी से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी। जनवरी में विवाह के 8 शुभ मुहूर्त हैं। मकर संक्रांति के दिन गणेश मंदिर, हनुमान मंदिर, शिव मंदिर और सूर्य मंदिर सहित अन्य प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ते हैं। तिल-गुड़ और उससे बने व्यंजन अर्पित कर दान का पुण्य कमाया जाता है।