खरगोन की मिट्टी में 0.3 से 0.4 प्रतिशत कार्बन:विशेषज्ञों ने किसानों को कपास की काठी से सिखाया मैनेज करने का तरीका
खरगोन की मिट्टी में 0.3 से 0.4 प्रतिशत कार्बन:विशेषज्ञों ने किसानों को कपास की काठी से सिखाया मैनेज करने का तरीका
खरगोन जिले की कृषि भूमि में कार्बन की मात्रा चिंताजनक स्तर तक पहुंच गई है। मृदा संरक्षण विभाग के अनुसार, जहां खेतों में कार्बन का आदर्श स्तर 1 से 5 प्रतिशत होना चाहिए, वहीं खरगोन की मिट्टी में यह मात्रा केवल 0.3 से 0.4 प्रतिशत के बीच है। इस समस्या के समाधान के लिए निरंजनलाल अग्रवाल फाउंडेशन ने देवली गांव में एक नवाचार कार्यक्रम किया। फाउंडेशन की टीम ने किसान सीताराम सेन के खेत में प्रैक्टिकल डेमोस्ट्रेशन के माध्यम से कार्बन की मात्रा बढ़ाने का सरल तरीका सिखाया। इस विधि में कपास की काठी को गड्ढे में जलाकर कोयला बनाया जाता है, जिसे बाद में गोबर की खाद में मिलाकर खेतों में डाला जाता है। रासायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग से ऐसा हो रहा
विशेषज्ञों का कहना है कि मिट्टी में कार्बन की कमी का मुख्य कारण जैविक खाद की कमी और रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग है। इस स्थिति को सुधारने के लिए किसानों को गोबर, गोमूत्र, गुड़ और पानी के मिश्रण से सिंचाई करने, फसल चक्र अपनाने, कम जुताई करने और जैविक खाद का प्रयोग करने की सलाह दी जा रही है। कार्यक्रम में रविंद्र यादव, गजानन कलमे, राजेश राठौर, कैलाश सेन, दशरथ राठौर सहित कई किसानों ने भाग लिया और नई तकनीक को सीखा। यह प्रयास खरगोन की कृषि भूमि की दीर्घकालिक उर्वरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। किसानों को सिखाया समस्या से निजात पाने का तरीका...
खरगोन जिले की कृषि भूमि में कार्बन की मात्रा चिंताजनक स्तर तक पहुंच गई है। मृदा संरक्षण विभाग के अनुसार, जहां खेतों में कार्बन का आदर्श स्तर 1 से 5 प्रतिशत होना चाहिए, वहीं खरगोन की मिट्टी में यह मात्रा केवल 0.3 से 0.4 प्रतिशत के बीच है। इस समस्या के समाधान के लिए निरंजनलाल अग्रवाल फाउंडेशन ने देवली गांव में एक नवाचार कार्यक्रम किया। फाउंडेशन की टीम ने किसान सीताराम सेन के खेत में प्रैक्टिकल डेमोस्ट्रेशन के माध्यम से कार्बन की मात्रा बढ़ाने का सरल तरीका सिखाया। इस विधि में कपास की काठी को गड्ढे में जलाकर कोयला बनाया जाता है, जिसे बाद में गोबर की खाद में मिलाकर खेतों में डाला जाता है। रासायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग से ऐसा हो रहा
विशेषज्ञों का कहना है कि मिट्टी में कार्बन की कमी का मुख्य कारण जैविक खाद की कमी और रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग है। इस स्थिति को सुधारने के लिए किसानों को गोबर, गोमूत्र, गुड़ और पानी के मिश्रण से सिंचाई करने, फसल चक्र अपनाने, कम जुताई करने और जैविक खाद का प्रयोग करने की सलाह दी जा रही है। कार्यक्रम में रविंद्र यादव, गजानन कलमे, राजेश राठौर, कैलाश सेन, दशरथ राठौर सहित कई किसानों ने भाग लिया और नई तकनीक को सीखा। यह प्रयास खरगोन की कृषि भूमि की दीर्घकालिक उर्वरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। किसानों को सिखाया समस्या से निजात पाने का तरीका...