आगर मालवा में पड़वा पर गाय को छोड़ा खिलाया:शहरी सहित ग्रामीण क्षेत्रों में पीढ़ियों से निभाई जा रही अनोखी परंपरा।

आगर मालवा में शनिवार को दीपावली की पड़वा के अवसर पर गाय को छोड़ा खिलाने की परंपरा को अनोखे तरीके से निभाया गया। इस अवसर पर गाय को बछड़े के चमड़े से बनाए गए छोड़े से लड़वाया जाता है। यह गतिविधि अलग-अलग स्थानों पर सुबह से शाम तक चलती है। इस परंपरा में गाय को चमड़े के छोड़े से लड़ने और उस पर सींग मारने के लिए उकसाया जाता है। गाय उस पर तब तक सींग मारती है जब तक कि चमड़ा फट नहीं जाता। यह गतिविधि गाय की शक्ति और साहस को दर्शाती है। स्थानीय लोगों ने बताया कि यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। यह दीपावली की पड़वा पर गाय को विशेष सम्मान देने के लिए की जाती है। शहर के बड़ा गवली पूरा, छोटा गवली पूरा सहित ग्रामीण क्षेत्रों और गौशालाओं में यह गतिविधि आयोजित की गई। यह परंपरा गायों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता की भावना को बढ़ावा देती है।

आगर मालवा में पड़वा पर गाय को छोड़ा खिलाया:शहरी सहित ग्रामीण क्षेत्रों में पीढ़ियों से निभाई जा रही अनोखी परंपरा।
आगर मालवा में शनिवार को दीपावली की पड़वा के अवसर पर गाय को छोड़ा खिलाने की परंपरा को अनोखे तरीके से निभाया गया। इस अवसर पर गाय को बछड़े के चमड़े से बनाए गए छोड़े से लड़वाया जाता है। यह गतिविधि अलग-अलग स्थानों पर सुबह से शाम तक चलती है। इस परंपरा में गाय को चमड़े के छोड़े से लड़ने और उस पर सींग मारने के लिए उकसाया जाता है। गाय उस पर तब तक सींग मारती है जब तक कि चमड़ा फट नहीं जाता। यह गतिविधि गाय की शक्ति और साहस को दर्शाती है। स्थानीय लोगों ने बताया कि यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। यह दीपावली की पड़वा पर गाय को विशेष सम्मान देने के लिए की जाती है। शहर के बड़ा गवली पूरा, छोटा गवली पूरा सहित ग्रामीण क्षेत्रों और गौशालाओं में यह गतिविधि आयोजित की गई। यह परंपरा गायों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता की भावना को बढ़ावा देती है।