श्री गुरु नानक देव जी की जयंती के 555 वर्ष पूरे होने पर विशेष-सिंघोत्रा

रायपुर, 15 नवंबर। छत्तीसगढ़ सिख समाज के प्रदेश अध्यक्ष सुखबीर सिंह सिंघोत्रा ने बताया कि श्री गुरु नानक देव जी (1469-1539) सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु थे, जिन्होंने अपनी शिक्षा और विचारों के माध्यम से संपूर्ण मानवता को प्रेम, सेवा, समानता और एकता का संदेश दिया। उनकी शिक्षाएँ और जीवन दर्शन न केवल सिख धर्म के अनुयायियों बल्कि दुनिया के सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा बने हुए हैं। गुरु नानक जी ने अपने समय की सामाजिक और धार्मिक विषमताओं को मिटाने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए, जिनका प्रभाव आज भी विश्व के कोने-कोने में महसूस किया जाता है। श्री सिंघोत्रा ने बताया कि श्री गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को रावी नदी के तट पर स्थित तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था, जो अब पाकिस्तान के ननकाना साहिब में है। उनके पिता का नाम मेहता कालू जी और माता का नाम तृप्ता जी था। गुरु नानक जी का बचपन से ही आध्यात्मिकता की ओर झुकाव था और वे साधारण जीवन में भी असाधारण ज्ञान और विवेक के धनी थे। बचपन में ही उन्होंने समाज में फैली असमानता, धार्मिक कट्टरता, अंधविश्वासों के प्रति अपनी असहमति व्यक्त करना शुरू कर दिया था। श्री सिंघोत्रा ने बताया कि श्री गुरु नानक देव जी का प्रमुख उद्देश्य मनुष्य को मनुष्यता के मार्ग पर चलाना था। उनके अनुसार ईश्वर एक है और सभी प्राणी उसके ही अंश हैं। उनके विचार का मूल तत्व एक ओंकार में समाहित है, जिसका अर्थ है परमात्मा एक है। उन्होंने जात-पात, ऊँच-नीच, धर्म, और वर्ग के भेदभाव को मिटाने पर ज़ोर दिया। गुरु नानक जी का मानना था कि ईश्वर के सच्चे उपासक वही हैं जो परोपकार, प्रेम, करुणा और सेवा में विश्वास रखते हैं।

श्री गुरु नानक देव जी की जयंती के 555 वर्ष पूरे होने पर विशेष-सिंघोत्रा
रायपुर, 15 नवंबर। छत्तीसगढ़ सिख समाज के प्रदेश अध्यक्ष सुखबीर सिंह सिंघोत्रा ने बताया कि श्री गुरु नानक देव जी (1469-1539) सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु थे, जिन्होंने अपनी शिक्षा और विचारों के माध्यम से संपूर्ण मानवता को प्रेम, सेवा, समानता और एकता का संदेश दिया। उनकी शिक्षाएँ और जीवन दर्शन न केवल सिख धर्म के अनुयायियों बल्कि दुनिया के सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा बने हुए हैं। गुरु नानक जी ने अपने समय की सामाजिक और धार्मिक विषमताओं को मिटाने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए, जिनका प्रभाव आज भी विश्व के कोने-कोने में महसूस किया जाता है। श्री सिंघोत्रा ने बताया कि श्री गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को रावी नदी के तट पर स्थित तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था, जो अब पाकिस्तान के ननकाना साहिब में है। उनके पिता का नाम मेहता कालू जी और माता का नाम तृप्ता जी था। गुरु नानक जी का बचपन से ही आध्यात्मिकता की ओर झुकाव था और वे साधारण जीवन में भी असाधारण ज्ञान और विवेक के धनी थे। बचपन में ही उन्होंने समाज में फैली असमानता, धार्मिक कट्टरता, अंधविश्वासों के प्रति अपनी असहमति व्यक्त करना शुरू कर दिया था। श्री सिंघोत्रा ने बताया कि श्री गुरु नानक देव जी का प्रमुख उद्देश्य मनुष्य को मनुष्यता के मार्ग पर चलाना था। उनके अनुसार ईश्वर एक है और सभी प्राणी उसके ही अंश हैं। उनके विचार का मूल तत्व एक ओंकार में समाहित है, जिसका अर्थ है परमात्मा एक है। उन्होंने जात-पात, ऊँच-नीच, धर्म, और वर्ग के भेदभाव को मिटाने पर ज़ोर दिया। गुरु नानक जी का मानना था कि ईश्वर के सच्चे उपासक वही हैं जो परोपकार, प्रेम, करुणा और सेवा में विश्वास रखते हैं।