महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं को नहीं मिल रहा पानी:दो घंटे की देरी से आती है सप्लाई, बुजुर्ग और बच्चे सबसे ज्यादा परेशान

उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं को भीषण गर्मी में पेयजल की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। प्रतिदिन हजारों की संख्या में दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को पीने के पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है। मानसरोवर भवन में दो से तीन स्थानों पर पेयजल की व्यवस्था की गई है। कर्मचारी भी तैनात किए गए हैं। लेकिन पानी की सप्लाई में देरी के कारण श्रद्धालुओं को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान मंदिर में भीड़ बढ़ गई है। श्रद्धालु महाकाल लोक से मानसरोवर गेट के रास्ते दर्शन के लिए आते हैं। 50-60 लीटर पानी कुछ ही देर में समाप्त हो जाता है। नई सप्लाई में दो घंटे तक का समय लग जाता है। इससे बुजुर्गों और बच्चों को सबसे अधिक परेशानी होती है। इस समस्या के अलावा मंदिर परिसर में एक और गंभीर स्थिति है। बृहस्पतेश्वर मंदिर और गायत्री माता मंदिर के सामने से भद्रकाली मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर मैट नहीं बिछी है। तेज धूप में लाल पत्थर इतने गर्म हो जाते हैं कि श्रद्धालुओं के पैर जल रहे हैं। इस स्थिति पर मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका मोबाइल बंद मिला।

महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं को नहीं मिल रहा पानी:दो घंटे की देरी से आती है सप्लाई, बुजुर्ग और बच्चे सबसे ज्यादा परेशान
उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं को भीषण गर्मी में पेयजल की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। प्रतिदिन हजारों की संख्या में दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को पीने के पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है। मानसरोवर भवन में दो से तीन स्थानों पर पेयजल की व्यवस्था की गई है। कर्मचारी भी तैनात किए गए हैं। लेकिन पानी की सप्लाई में देरी के कारण श्रद्धालुओं को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान मंदिर में भीड़ बढ़ गई है। श्रद्धालु महाकाल लोक से मानसरोवर गेट के रास्ते दर्शन के लिए आते हैं। 50-60 लीटर पानी कुछ ही देर में समाप्त हो जाता है। नई सप्लाई में दो घंटे तक का समय लग जाता है। इससे बुजुर्गों और बच्चों को सबसे अधिक परेशानी होती है। इस समस्या के अलावा मंदिर परिसर में एक और गंभीर स्थिति है। बृहस्पतेश्वर मंदिर और गायत्री माता मंदिर के सामने से भद्रकाली मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर मैट नहीं बिछी है। तेज धूप में लाल पत्थर इतने गर्म हो जाते हैं कि श्रद्धालुओं के पैर जल रहे हैं। इस स्थिति पर मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका मोबाइल बंद मिला।