मूंग फसल पर पत्ती छेदक इल्ली का हमला:हरदा में 1.45 लाख हेक्टेयर में बोई फसल पर खतरा; किसान कर रहे अधिक कीटनाशक स्प्रे

हरदा में किसानों की मूंग फसल इस बार तेज गर्मी की मार झेल रही है। जिले में 1 लाख 45 हजार हेक्टेयर में बोई गई मूंग फसल पर पत्ती छेदक इल्ली का प्रकोप देखा जा रहा है। किसानों का कहना है कि पहले एक-दो स्प्रे से काम चल जाता था। अब तीन-चार बार कीटनाशक का छिड़काव करना पड़ रहा है। कृषि उप संचालक जवाहरलाल कास्दे के अनुसार मौसम का असर फसल पर आंशिक रूप से हुआ है। कृषि वैज्ञानिकों की टीम खेतों का निरीक्षण कर रही है। जानकारी के अनुसार, पिछले साल जिले में मूंग का उत्पादन करीब 1 लाख 88 हजार मीट्रिक टन हुआ था। प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 15 क्विंटल रहा था। इस बार इल्ली के प्रकोप से उत्पादन प्रभावित हो सकता है। किसानों को दी सलाह कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र की संयुक्त टीम ने हरदा, टिमरनी और खिरकिया विकासखंड के विभिन्न गांवों का दौरा किया। टीम में डॉ. रूपचंद जाटव, डॉ. भागवत सिंह, रामकृष्ण मंडलोई और डॉ. श्रीचंद जाट शामिल थे। किसानों को सलाह दी गई है कि वे इमामेक्टिन बेजोंएट, प्रोफेनोफास या इंडोक्साकार्ब का निर्धारित मात्रा में सुबह या शाम के समय छिड़काव करें। इससे कीट नियंत्रण में मदद मिलेगी।

मूंग फसल पर पत्ती छेदक इल्ली का हमला:हरदा में 1.45 लाख हेक्टेयर में बोई फसल पर खतरा; किसान कर रहे अधिक कीटनाशक स्प्रे
हरदा में किसानों की मूंग फसल इस बार तेज गर्मी की मार झेल रही है। जिले में 1 लाख 45 हजार हेक्टेयर में बोई गई मूंग फसल पर पत्ती छेदक इल्ली का प्रकोप देखा जा रहा है। किसानों का कहना है कि पहले एक-दो स्प्रे से काम चल जाता था। अब तीन-चार बार कीटनाशक का छिड़काव करना पड़ रहा है। कृषि उप संचालक जवाहरलाल कास्दे के अनुसार मौसम का असर फसल पर आंशिक रूप से हुआ है। कृषि वैज्ञानिकों की टीम खेतों का निरीक्षण कर रही है। जानकारी के अनुसार, पिछले साल जिले में मूंग का उत्पादन करीब 1 लाख 88 हजार मीट्रिक टन हुआ था। प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 15 क्विंटल रहा था। इस बार इल्ली के प्रकोप से उत्पादन प्रभावित हो सकता है। किसानों को दी सलाह कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र की संयुक्त टीम ने हरदा, टिमरनी और खिरकिया विकासखंड के विभिन्न गांवों का दौरा किया। टीम में डॉ. रूपचंद जाटव, डॉ. भागवत सिंह, रामकृष्ण मंडलोई और डॉ. श्रीचंद जाट शामिल थे। किसानों को सलाह दी गई है कि वे इमामेक्टिन बेजोंएट, प्रोफेनोफास या इंडोक्साकार्ब का निर्धारित मात्रा में सुबह या शाम के समय छिड़काव करें। इससे कीट नियंत्रण में मदद मिलेगी।