भारतीय गांव से एस्टोनिया के ताल्लिन का सफर: फिल्म ‘पायर’ के बुजुर्ग कलाकार फिल्म महोत्सव में हिस्सा लेने पहली बार विदेश रवाना
भारतीय गांव से एस्टोनिया के ताल्लिन का सफर: फिल्म ‘पायर’ के बुजुर्ग कलाकार फिल्म महोत्सव में हिस्सा लेने पहली बार विदेश रवाना
(राधिका शर्मा)
नयी दिल्ली, 18 नवंबर। उत्तराखंड के एक गांव में साधारण जीवन व्यतीत कर रहे एवं उम्र के आठवें दशक में प्रवेश कर चुके दो बुजुर्ग पदम सिंह और हीरा देवी निर्देशक विनोद कापड़ी की फिल्म पायर में निभाए किरदार की वजह से चर्चा में आए हैं। दोनों बुजुर्ग उत्तरी यूरोपीय देश एस्टोनिया में फिल्म के विश्व प्रीमियर में हिस्सा के लिए सोमवार को अपनी पहली विदेश एवं हवाई यात्रा पर रवाना हुए।
कापड़ी, सिंह और देवी इस समय एस्टोनिया की राजधानी ताल्लिन पहुंचने के लिए रास्ते में हैं जहां पर वे मंगलवार को ब्लैक नाइट्स फिल्म फेस्टिवल 2024 में पायर के विश्व प्रीमियर में हिस्सा लेंगे।
फिल्म पायर में हिमालयी जीवन को दर्शाया गया है। इस फिल्म को ताल्लिन फिल्म महोत्सव के 28वें संस्करण में प्रतिस्पर्धा श्रेणी में आधिकारिक रूप से चुना गया है।
हिंदी फिल्म एक बुज़ुर्ग दंपती की सच्ची कहानी से प्रेरित है जिनसे कापड़ी की मुलाक़ात 2017 में उत्तराखंड के पलायन से प्रभावित मुनस्यारी गांव में हुई थी। दंपती के एक दूसरे से जुड़ाव ने कापड़ी पर गहरा प्रभाव डाला, जिसके कारण उन्होंने पायर फिल्म बनाई।
कापड़ी ने उत्तराखंड में लगभग 20 बुजुर्गों से मुलाकात की, जिनमें से उन्होंने सिंह और देवी को अपनी फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने के लिए चुना। यह फिल्म एक पहाड़ी गांव में एकांत में रह रहे करीब 80 वर्षीय दंपती के इर्द-गिर्द घूमती है,जहां के अन्य निवासी आजीविका की तलाश में बड़े शहरों में चले गए हैं।
राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित कापड़ी ने सोमवार को फोन पर पीटीआई-भाषा से कहा, मेरी एकमात्र चिंता यह थी, कि दोनों शर्माएं नहीं और पूरे आत्मविश्वास से कैमरे का सामना करें।
निर्देशक ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि भूमिका निभाने के लिए कलाकार की तलाश के दौरान उन्हें लगभग गलत समझा गया, क्योंकि वे बूढ़ी महिलाओं का पीछा कर रहे थे, जिससे वहां मौजूद ग्रामीण नाराज हो गए और माजरा समझने के लिए उन्हें घेर लिया।
उन्होंने कहा, फिर मैंने उनसे कहा कि मैं एक फिल्म निर्माता हूं, मैं एक फिल्म बनाना चाहता हूं, मैं स्थानीय अभिनेताओं की तलाश कर रहा हूं। मैंने उनसे कहा कि मैं भी उत्तराखंड से ही हूं, मैंने उनसे कुमाऊंनी भाषा में बात की। मुझे ग्रामीणों की भीड़ में हीरा देवी मिलीं। लोगों ने उन्हें बताया कि क्या हो रहा है। तभी उन्होंने कहा, हां, मैं यह करूंगी। मैं हीरोइन बनूंगी! मैं देवी के आत्मविश्वास को देखकर दंग रह गया।
देवी ने कहा कि शुरू में उन्हें कैमरे के सामने अभिनय करने में डर लग रहा था।
उन्होंने कहा, एक समय पर मुझे भी ऐसा करने का मन नहीं था। लेकिन मेरे बच्चों ने मुझे प्रोत्साहित किया। फिर विनोद जी ने भी बहुत मदद की। उसके बाद सब ठीक हो गया।
सिंह भूतपूर्व सैनिक हैं, जबकि देवी पेशे से किसान हैं। दोनों ने पहले कभी किसी फिल्म में अभिनय नहीं किया था। दोनों उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग तहसील के रहने वाले हैं।
कापड़ी ने इससे पहले दिन में सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक वीडियो साझा किया था जिसमें वह सिंह और देवी के साथ हवाई अड्डे जाते दिख रहे हैं। दोनों बुजुर्ग व्हीलचेयर पर जाते नजर आ रहे हैं।
निर्देशक ने विमान में बैठे हुए कैमरे के सामने मुस्कुराते हुए दोनों की एक तस्वीर भी साझा की।
देवी और सिंह से जब यह पूछा गया कि उनकी पहली हवाई यात्रा कैसी रही तो उन्होंने कहा कि इस यात्रा का वे पूरा आनंद ले रहे हैं।
सिंह ने कहा कि उन्होंने काबुल और कंधार जैसे अंतरराष्ट्रीय शहरों के बारे में केवल किताबों में पढ़ा था, लेकिन विमान में बैठकर उन्हें इन्हें काफी करीब से देखने का मौका मिला।
उन्होंने भरोसा जताया कि मंगलवार को होने वाले प्रीमियर में फिल्म को अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी।
कापड़ी ने बताया कि पायर की शूटिंग के दौरान सिंह प्रोस्टेट कैंसर के लिए कीमोथेरेपी करा रहे थे और अक्सर उनसे पूछते थे कि क्या वह अपनी जिंदगी में इस फिल्म को देख पाएंगे।
निर्देशक ने कहा, वह अगले 24 घंटों में अपना सपना पूरा करने जा रहे हैं। वह अपनी फिल्म को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के सामने बड़े पर्दे पर देखेंगे।
एस्टोनिया की राजधानी ताल्लिन में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले प्रतिष्ठित फिल्म समारोह की आधिकारिक प्रतियोगिता श्रेणी में पायर एकमात्र भारतीय प्रविष्टि है।(भाषा)
(राधिका शर्मा)
नयी दिल्ली, 18 नवंबर। उत्तराखंड के एक गांव में साधारण जीवन व्यतीत कर रहे एवं उम्र के आठवें दशक में प्रवेश कर चुके दो बुजुर्ग पदम सिंह और हीरा देवी निर्देशक विनोद कापड़ी की फिल्म पायर में निभाए किरदार की वजह से चर्चा में आए हैं। दोनों बुजुर्ग उत्तरी यूरोपीय देश एस्टोनिया में फिल्म के विश्व प्रीमियर में हिस्सा के लिए सोमवार को अपनी पहली विदेश एवं हवाई यात्रा पर रवाना हुए।
कापड़ी, सिंह और देवी इस समय एस्टोनिया की राजधानी ताल्लिन पहुंचने के लिए रास्ते में हैं जहां पर वे मंगलवार को ब्लैक नाइट्स फिल्म फेस्टिवल 2024 में पायर के विश्व प्रीमियर में हिस्सा लेंगे।
फिल्म पायर में हिमालयी जीवन को दर्शाया गया है। इस फिल्म को ताल्लिन फिल्म महोत्सव के 28वें संस्करण में प्रतिस्पर्धा श्रेणी में आधिकारिक रूप से चुना गया है।
हिंदी फिल्म एक बुज़ुर्ग दंपती की सच्ची कहानी से प्रेरित है जिनसे कापड़ी की मुलाक़ात 2017 में उत्तराखंड के पलायन से प्रभावित मुनस्यारी गांव में हुई थी। दंपती के एक दूसरे से जुड़ाव ने कापड़ी पर गहरा प्रभाव डाला, जिसके कारण उन्होंने पायर फिल्म बनाई।
कापड़ी ने उत्तराखंड में लगभग 20 बुजुर्गों से मुलाकात की, जिनमें से उन्होंने सिंह और देवी को अपनी फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने के लिए चुना। यह फिल्म एक पहाड़ी गांव में एकांत में रह रहे करीब 80 वर्षीय दंपती के इर्द-गिर्द घूमती है,जहां के अन्य निवासी आजीविका की तलाश में बड़े शहरों में चले गए हैं।
राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित कापड़ी ने सोमवार को फोन पर पीटीआई-भाषा से कहा, मेरी एकमात्र चिंता यह थी, कि दोनों शर्माएं नहीं और पूरे आत्मविश्वास से कैमरे का सामना करें।
निर्देशक ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि भूमिका निभाने के लिए कलाकार की तलाश के दौरान उन्हें लगभग गलत समझा गया, क्योंकि वे बूढ़ी महिलाओं का पीछा कर रहे थे, जिससे वहां मौजूद ग्रामीण नाराज हो गए और माजरा समझने के लिए उन्हें घेर लिया।
उन्होंने कहा, फिर मैंने उनसे कहा कि मैं एक फिल्म निर्माता हूं, मैं एक फिल्म बनाना चाहता हूं, मैं स्थानीय अभिनेताओं की तलाश कर रहा हूं। मैंने उनसे कहा कि मैं भी उत्तराखंड से ही हूं, मैंने उनसे कुमाऊंनी भाषा में बात की। मुझे ग्रामीणों की भीड़ में हीरा देवी मिलीं। लोगों ने उन्हें बताया कि क्या हो रहा है। तभी उन्होंने कहा, हां, मैं यह करूंगी। मैं हीरोइन बनूंगी! मैं देवी के आत्मविश्वास को देखकर दंग रह गया।
देवी ने कहा कि शुरू में उन्हें कैमरे के सामने अभिनय करने में डर लग रहा था।
उन्होंने कहा, एक समय पर मुझे भी ऐसा करने का मन नहीं था। लेकिन मेरे बच्चों ने मुझे प्रोत्साहित किया। फिर विनोद जी ने भी बहुत मदद की। उसके बाद सब ठीक हो गया।
सिंह भूतपूर्व सैनिक हैं, जबकि देवी पेशे से किसान हैं। दोनों ने पहले कभी किसी फिल्म में अभिनय नहीं किया था। दोनों उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग तहसील के रहने वाले हैं।
कापड़ी ने इससे पहले दिन में सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक वीडियो साझा किया था जिसमें वह सिंह और देवी के साथ हवाई अड्डे जाते दिख रहे हैं। दोनों बुजुर्ग व्हीलचेयर पर जाते नजर आ रहे हैं।
निर्देशक ने विमान में बैठे हुए कैमरे के सामने मुस्कुराते हुए दोनों की एक तस्वीर भी साझा की।
देवी और सिंह से जब यह पूछा गया कि उनकी पहली हवाई यात्रा कैसी रही तो उन्होंने कहा कि इस यात्रा का वे पूरा आनंद ले रहे हैं।
सिंह ने कहा कि उन्होंने काबुल और कंधार जैसे अंतरराष्ट्रीय शहरों के बारे में केवल किताबों में पढ़ा था, लेकिन विमान में बैठकर उन्हें इन्हें काफी करीब से देखने का मौका मिला।
उन्होंने भरोसा जताया कि मंगलवार को होने वाले प्रीमियर में फिल्म को अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी।
कापड़ी ने बताया कि पायर की शूटिंग के दौरान सिंह प्रोस्टेट कैंसर के लिए कीमोथेरेपी करा रहे थे और अक्सर उनसे पूछते थे कि क्या वह अपनी जिंदगी में इस फिल्म को देख पाएंगे।
निर्देशक ने कहा, वह अगले 24 घंटों में अपना सपना पूरा करने जा रहे हैं। वह अपनी फिल्म को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के सामने बड़े पर्दे पर देखेंगे।
एस्टोनिया की राजधानी ताल्लिन में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले प्रतिष्ठित फिल्म समारोह की आधिकारिक प्रतियोगिता श्रेणी में पायर एकमात्र भारतीय प्रविष्टि है।(भाषा)