खबर का असर : कोल माइंस के लिए विस्फोट से रामगढ़ पहाड़ में आई दरार पर वन विभाग ने किया अलर्ट

सावधान पत्थर गिरने वाला है, पत्थर में है दरार जैसे स्लोगन अलर्ट पत्थरों पर लिखवाया छत्तीसगढ़ संवाददाता अम्बिकापुर, 30 जुलाई। विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला रामगढ़ खतरे में है, पहाड़ में जगह-जगह दरारें पड़ रही है कि खबर छत्तीसगढ़ ने प्रमुखता से 27 जुलाई को प्रकाशित की थी। खबर प्रकाशन के बाद वन विभाग सतर्क हो गया और मौके पर पहुंच जांच पड़ताल के बाद अपनी जवाबदेही पूरी करते हुए रामगढ़ पहाड़ी में जहां-जहां दरार आई है, वहां स्लोगन लिखवा कर लोगों को अलर्ट कर दिया है। वन विभाग ने पहाडिय़ों में स्लोगन लिखवाया है कि सावधान पत्थर गिरने वाला है,पत्थर में दरार आई है। इस मामले को लेकर प्रशासन के अनुविभागीय अधिकारी उदयपुर बन सिंह नेताम से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि राजस्थान विद्युत निगम परियोजना के अधिकारियों से इस संदर्भ में मैं बात किया हूँ, मैं थोड़ी व्यस्तता के कारण मौके पर नहीं जा पाया हूं, शीघ्र ही मौके पर जाकर रिपोर्ट तैयार कर सरगुजा कलेक्टर को रिपोर्ट दूंगा और राजस्थान विद्युत निगम के परियोजना के अधिकारियों से मिलकर व बैठक कर निर्देश दूंगा की वह इसके लिए कारगर उपाय करें। गौरतलब है कि सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लॉक अंतर्गत विश्व की सबसे प्राचीनतम नाट्यशाला रामगढ़ एवं पहाड़ के ऊपरी हिस्से पर भगवान राम का काफी पुराना मंदिर है। कहा जाता है कि महाकवि कालिदास के मेघदूत में वर्णित रामगिरि पर्वत यही है, जहां उन्होंने बैठकर अपनी कृति मेघदूत की रचना की थी। यहां पर विश्व की प्राचीनतम गुफा नाट्य शाला स्थित है। इसे रामगढ़ नाट्य शाला के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय मान्यता है कि 14 बरस वनवास के दौरान एक लंबा समय भगवान राम, लक्ष्मण, सीता का यहां व्यतीत हुआ था। अब विश्व की यह प्राचीनतम नाट्यशाला आस-पास के कोल माइंस के लिए किए जा रहे विस्फोट के कारण खतरे में पड़ गई है, जगह-जगह दरारें पड़ रही है। इस आशय की खबर छत्तीसगढ़ में प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी। खबर प्रशासन के बाद वन विभाग तो अलर्ट हो गया है, लेकिन प्रशासन अभी तक इस मामले में कोई ठोस पहल या कार्रवाई नहीं की है। जानकारी के मुताबिक़ पुरातत्व, धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से देश भर में प्रसिद्ध रामगढ़ से महज 5 से 7 किलोमीटर की दूरी पर परसा ईस्ट एवं केते बासेन की खुली कोल खदान है। खदान में कोयला निकालने हेतु बारूद का उपयोग किया जाता है और बड़ी चट्टानों को तोडऩे के लिए बड़ी मात्रा में यहां बड़े विस्फोट होते हैं। रामगढ़ पहाड़ी के आसपास के लोगों ने बताया कि जब बड़े विस्फोट होते हैं तो रामगढ़ की पहाड़ी पर हल्की कंपन्न उत्पन्न होती है। इन विस्फोटों से रामगढ़ की पहाड़ी को लगातार नुकसान पहुंच रहा है,जबकि प्रबंधन यह मानने को तैयार ही नहीं है कि उनके कोल उत्पादन हेतु किये जा रहे बारूद विस्फोट का प्रभाव अगल-बगल के क्षेत्रों में पड़ रहा है। बदातुर्रा के बस्ती में कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा हसदेव बचाओ आंदोलन से जुड़े लोगों ने बताया कि रामगढ़ पहाड़ी पर जगह-जगह बड़ी दरार पडऩे के कारण कभी भी कोई गंभीर हादसा हो सकता है। कई पत्थर बीच से टूट रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कोल खनन हेतु किये जाने वाले विस्फोट के प्रभाव से जब धरती के अंदरूनी क्षेत्र में हलचल होती है तो उसके प्रभाव से कई हिस्से नीचे की ओर दब रहे हैं। पहाड़ी के नीचे बदातुर्रा एक मुहल्ला है, जहां पर आधा दर्जन परिवार रहते हैं और वहां सोलर सिस्टम भी लगाये गए हैं। इसके ऊपरी हिस्से पर रामगढ़ का एक हिस्सा लगातार क्षतिग्रस्त हो रहा है, जो यहां कभी भी गिर सकता है। इससे न सिर्फ सोलर सिस्टम क्षतिग्रस्त होगा, बल्कि 7-8 लोगों की यह बस्ती में कभी भी कोई गंभीर हादसा हो सकता है।

खबर का असर : कोल माइंस के लिए विस्फोट से रामगढ़ पहाड़ में आई दरार पर वन विभाग ने किया अलर्ट
सावधान पत्थर गिरने वाला है, पत्थर में है दरार जैसे स्लोगन अलर्ट पत्थरों पर लिखवाया छत्तीसगढ़ संवाददाता अम्बिकापुर, 30 जुलाई। विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला रामगढ़ खतरे में है, पहाड़ में जगह-जगह दरारें पड़ रही है कि खबर छत्तीसगढ़ ने प्रमुखता से 27 जुलाई को प्रकाशित की थी। खबर प्रकाशन के बाद वन विभाग सतर्क हो गया और मौके पर पहुंच जांच पड़ताल के बाद अपनी जवाबदेही पूरी करते हुए रामगढ़ पहाड़ी में जहां-जहां दरार आई है, वहां स्लोगन लिखवा कर लोगों को अलर्ट कर दिया है। वन विभाग ने पहाडिय़ों में स्लोगन लिखवाया है कि सावधान पत्थर गिरने वाला है,पत्थर में दरार आई है। इस मामले को लेकर प्रशासन के अनुविभागीय अधिकारी उदयपुर बन सिंह नेताम से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि राजस्थान विद्युत निगम परियोजना के अधिकारियों से इस संदर्भ में मैं बात किया हूँ, मैं थोड़ी व्यस्तता के कारण मौके पर नहीं जा पाया हूं, शीघ्र ही मौके पर जाकर रिपोर्ट तैयार कर सरगुजा कलेक्टर को रिपोर्ट दूंगा और राजस्थान विद्युत निगम के परियोजना के अधिकारियों से मिलकर व बैठक कर निर्देश दूंगा की वह इसके लिए कारगर उपाय करें। गौरतलब है कि सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लॉक अंतर्गत विश्व की सबसे प्राचीनतम नाट्यशाला रामगढ़ एवं पहाड़ के ऊपरी हिस्से पर भगवान राम का काफी पुराना मंदिर है। कहा जाता है कि महाकवि कालिदास के मेघदूत में वर्णित रामगिरि पर्वत यही है, जहां उन्होंने बैठकर अपनी कृति मेघदूत की रचना की थी। यहां पर विश्व की प्राचीनतम गुफा नाट्य शाला स्थित है। इसे रामगढ़ नाट्य शाला के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय मान्यता है कि 14 बरस वनवास के दौरान एक लंबा समय भगवान राम, लक्ष्मण, सीता का यहां व्यतीत हुआ था। अब विश्व की यह प्राचीनतम नाट्यशाला आस-पास के कोल माइंस के लिए किए जा रहे विस्फोट के कारण खतरे में पड़ गई है, जगह-जगह दरारें पड़ रही है। इस आशय की खबर छत्तीसगढ़ में प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी। खबर प्रशासन के बाद वन विभाग तो अलर्ट हो गया है, लेकिन प्रशासन अभी तक इस मामले में कोई ठोस पहल या कार्रवाई नहीं की है। जानकारी के मुताबिक़ पुरातत्व, धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से देश भर में प्रसिद्ध रामगढ़ से महज 5 से 7 किलोमीटर की दूरी पर परसा ईस्ट एवं केते बासेन की खुली कोल खदान है। खदान में कोयला निकालने हेतु बारूद का उपयोग किया जाता है और बड़ी चट्टानों को तोडऩे के लिए बड़ी मात्रा में यहां बड़े विस्फोट होते हैं। रामगढ़ पहाड़ी के आसपास के लोगों ने बताया कि जब बड़े विस्फोट होते हैं तो रामगढ़ की पहाड़ी पर हल्की कंपन्न उत्पन्न होती है। इन विस्फोटों से रामगढ़ की पहाड़ी को लगातार नुकसान पहुंच रहा है,जबकि प्रबंधन यह मानने को तैयार ही नहीं है कि उनके कोल उत्पादन हेतु किये जा रहे बारूद विस्फोट का प्रभाव अगल-बगल के क्षेत्रों में पड़ रहा है। बदातुर्रा के बस्ती में कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा हसदेव बचाओ आंदोलन से जुड़े लोगों ने बताया कि रामगढ़ पहाड़ी पर जगह-जगह बड़ी दरार पडऩे के कारण कभी भी कोई गंभीर हादसा हो सकता है। कई पत्थर बीच से टूट रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कोल खनन हेतु किये जाने वाले विस्फोट के प्रभाव से जब धरती के अंदरूनी क्षेत्र में हलचल होती है तो उसके प्रभाव से कई हिस्से नीचे की ओर दब रहे हैं। पहाड़ी के नीचे बदातुर्रा एक मुहल्ला है, जहां पर आधा दर्जन परिवार रहते हैं और वहां सोलर सिस्टम भी लगाये गए हैं। इसके ऊपरी हिस्से पर रामगढ़ का एक हिस्सा लगातार क्षतिग्रस्त हो रहा है, जो यहां कभी भी गिर सकता है। इससे न सिर्फ सोलर सिस्टम क्षतिग्रस्त होगा, बल्कि 7-8 लोगों की यह बस्ती में कभी भी कोई गंभीर हादसा हो सकता है।