आध्यात्मिक सत्संग का समापन

छत्तीसगढ़ संवाददाता करगीरोड (कोटा), 1 अप्रैल। संत रामपाल जी महाराज के आध्यात्मिक सत्संग का आयोजनसोमवार को कोटा डिपरापारा में हुआ। तीनों देवा कमल दल बसे, ब्रह्मा विष्णु महेश। प्रथम इनकी वंदना, सुन सतगुरु उपदेश। अर्थात ब्रह्मा, विष्णु तथा शिवा तीनों देवता हमारे शरीर में बने कमल दलो (कमल चक्रो) में बसे निवास करते हैं इसलिए सर्वप्रथम साधना स्तुति उनकी करनी होती है। सत्संग में शरीर (पिण्ड) में बने कमलो (चक्रो) के बारे में विस्तार से बताया गया। गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहां है कि हे अर्जुन! जो व्यक्ति शास्त्रविधि को त्याग को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है। उसको न सुख प्राप्त होता है, न सिद्धि प्राप्त होती है तथा न उसकी गति यानी मुक्ति (मोक्ष प्राप्ति) होती है। गीता अध्याय 16 श्लोक 24 में कहां है कि इससे तेरे लिए अर्जुन! कर्तव्य (जो साधना करनी चाहिए) तथा अकर्तव्य (जो साधना नहीं करनी चाहिए) की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है। तू शास्त्रोक्त भक्ति कर। आयुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 15 में कहा है कि ओम् क्रतो स्मर, क्लिबे स्मर,कृतुम स्मर। अर्थात ओम नाम का जाप कार्य करते-करते कर, विशेष लगन तड़प के साथ तथा मानव जीवन का मुख्य कर्तव्य मानकर जाप कर। गीता अध्याय 8 श्लोक 5 व 7 में कहा है कि हे अर्जुन तू युद्ध भी कर मेरा स्मरण भी कर। विचार करो, युद्ध से कठिन कार्य कोई भी नहीं होता भक्ति उस दौरान भी की जानी चाहिए अर्थात साधना नाम जाप वाली कारगर है। नाम का जाप 3 वर्ष के बच्चे से लेकर वृद्ध तक आसानी से कर सकता है। चलते फिरते भी कर सकता है लेटा लेटा व बैठकर भी नामो का जाप कर सकता है। कबीर परमेश्वर जी चारों युगों में नामांतर करके आते हैं - सतयुग में सतसुकृत नाम से, त्रेतायुग मुनिन्द्र, द्वापरयुग में करुणामय कलयुग में अपने वास्तविक नाम कबीर परमेश्वर के नाम से प्रकट होते हैं। संत रामपाल महाराज के आध्यात्मिक ऐतिहासिक कार्यक्रम में बिलासपुर संभाग कोऑर्डिनेटर जगतदास महंत, बिलासपुर जिला कोऑर्डिनेटर हीराराम साहू, तुलसी साहू, दशरथ केवट, शंकर भारद्वाज, प्रकाश मानिकपुरी, अश्वनी यादव, अजय बंजारे, ताराचंद साहू, दुर्गा वस्त्रकार, ताराचंद साहू,रवि दिब्यदर्शी, नगर पंचायत कोटा एवं बिलासपुर जिला से हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

आध्यात्मिक सत्संग का समापन
छत्तीसगढ़ संवाददाता करगीरोड (कोटा), 1 अप्रैल। संत रामपाल जी महाराज के आध्यात्मिक सत्संग का आयोजनसोमवार को कोटा डिपरापारा में हुआ। तीनों देवा कमल दल बसे, ब्रह्मा विष्णु महेश। प्रथम इनकी वंदना, सुन सतगुरु उपदेश। अर्थात ब्रह्मा, विष्णु तथा शिवा तीनों देवता हमारे शरीर में बने कमल दलो (कमल चक्रो) में बसे निवास करते हैं इसलिए सर्वप्रथम साधना स्तुति उनकी करनी होती है। सत्संग में शरीर (पिण्ड) में बने कमलो (चक्रो) के बारे में विस्तार से बताया गया। गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहां है कि हे अर्जुन! जो व्यक्ति शास्त्रविधि को त्याग को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है। उसको न सुख प्राप्त होता है, न सिद्धि प्राप्त होती है तथा न उसकी गति यानी मुक्ति (मोक्ष प्राप्ति) होती है। गीता अध्याय 16 श्लोक 24 में कहां है कि इससे तेरे लिए अर्जुन! कर्तव्य (जो साधना करनी चाहिए) तथा अकर्तव्य (जो साधना नहीं करनी चाहिए) की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है। तू शास्त्रोक्त भक्ति कर। आयुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 15 में कहा है कि ओम् क्रतो स्मर, क्लिबे स्मर,कृतुम स्मर। अर्थात ओम नाम का जाप कार्य करते-करते कर, विशेष लगन तड़प के साथ तथा मानव जीवन का मुख्य कर्तव्य मानकर जाप कर। गीता अध्याय 8 श्लोक 5 व 7 में कहा है कि हे अर्जुन तू युद्ध भी कर मेरा स्मरण भी कर। विचार करो, युद्ध से कठिन कार्य कोई भी नहीं होता भक्ति उस दौरान भी की जानी चाहिए अर्थात साधना नाम जाप वाली कारगर है। नाम का जाप 3 वर्ष के बच्चे से लेकर वृद्ध तक आसानी से कर सकता है। चलते फिरते भी कर सकता है लेटा लेटा व बैठकर भी नामो का जाप कर सकता है। कबीर परमेश्वर जी चारों युगों में नामांतर करके आते हैं - सतयुग में सतसुकृत नाम से, त्रेतायुग मुनिन्द्र, द्वापरयुग में करुणामय कलयुग में अपने वास्तविक नाम कबीर परमेश्वर के नाम से प्रकट होते हैं। संत रामपाल महाराज के आध्यात्मिक ऐतिहासिक कार्यक्रम में बिलासपुर संभाग कोऑर्डिनेटर जगतदास महंत, बिलासपुर जिला कोऑर्डिनेटर हीराराम साहू, तुलसी साहू, दशरथ केवट, शंकर भारद्वाज, प्रकाश मानिकपुरी, अश्वनी यादव, अजय बंजारे, ताराचंद साहू, दुर्गा वस्त्रकार, ताराचंद साहू,रवि दिब्यदर्शी, नगर पंचायत कोटा एवं बिलासपुर जिला से हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।