गणेशोत्सव की तैयारियां:10वीं का छात्र मिट्टी से गणेश प्रतिमाएं बनाकर दे रहा पर्यावरण संरक्षण का संदेश

7 सितंबर से गणेशोत्सव शुरू होने वाला है। बाजारों में गणेश प्रतिमाओं की बिक्री के लिए दुकानें सज गई है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण के प्रयास हो रहे हैं। सारोला गांव का कक्षा दसवीं का एक छात्र पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहा है। वह मिट्टी से गणेशजी की प्रतिमाएं बना रहा है जिसकी ग्रामीण भी सराहना कर रहे हैं। ग्राम सारोला में 17 साल का दुर्गेश नितेश महाजन मिट्टी से गणेश प्रतिमाएं बनाकर पर्यावरण बचाने का संदेश दे रहा है। दुर्गेश निजी स्कूल में कक्षा 10वीं का छात्र है। वह दो साल से मिट्टी की छोटी छोटी मूर्तियां बना रहा है। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है। छात्र ने बताया परिवार में एक भाई, मां और पिता मजदूरी करते हैं। मिट्टी से ईको फ्रेंडली प्रतिमाएं बनाकर बाजार व घर.घर जाकर बेचता हूं और स्कूल की फीस भरता हूं। उप सरपंच योगेश महाजन ने बताया मिट्टी, राख, गोमूत्र से प्रतिमा बनाई जाती है। इसके बाद हल्दी, कुमकुम, अबीर, गुलाल व अक्षत से श्रृंगार किया जाता है। मिट्टी के गणेश बनाने के लिए खेत खलिहान की मिट्टी छानकर इसे पानी के साथ मिलाकर तैयार करते हैं। गोमूत्र व राख का मिश्रण बनाकर गणेश प्रतिमा बनाई जाती है। नगर सुरक्षा समिति अध्यक्ष किरण मोरे ने बताया बच्चे को बचपन से ही मूर्ति बनाने का शौक है। 2 साल से पर्यावरण हित को ध्यान में रखते हुए मिट्टी की मूर्तियां बना रहे हैं। इससे पर्यावरण भी नष्ट नहीं होता है और हम अपना त्योहार उल्लास के साथ मना सकते हैं।

गणेशोत्सव की तैयारियां:10वीं का छात्र मिट्टी से गणेश प्रतिमाएं बनाकर दे रहा पर्यावरण संरक्षण का संदेश
7 सितंबर से गणेशोत्सव शुरू होने वाला है। बाजारों में गणेश प्रतिमाओं की बिक्री के लिए दुकानें सज गई है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण के प्रयास हो रहे हैं। सारोला गांव का कक्षा दसवीं का एक छात्र पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहा है। वह मिट्टी से गणेशजी की प्रतिमाएं बना रहा है जिसकी ग्रामीण भी सराहना कर रहे हैं। ग्राम सारोला में 17 साल का दुर्गेश नितेश महाजन मिट्टी से गणेश प्रतिमाएं बनाकर पर्यावरण बचाने का संदेश दे रहा है। दुर्गेश निजी स्कूल में कक्षा 10वीं का छात्र है। वह दो साल से मिट्टी की छोटी छोटी मूर्तियां बना रहा है। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है। छात्र ने बताया परिवार में एक भाई, मां और पिता मजदूरी करते हैं। मिट्टी से ईको फ्रेंडली प्रतिमाएं बनाकर बाजार व घर.घर जाकर बेचता हूं और स्कूल की फीस भरता हूं। उप सरपंच योगेश महाजन ने बताया मिट्टी, राख, गोमूत्र से प्रतिमा बनाई जाती है। इसके बाद हल्दी, कुमकुम, अबीर, गुलाल व अक्षत से श्रृंगार किया जाता है। मिट्टी के गणेश बनाने के लिए खेत खलिहान की मिट्टी छानकर इसे पानी के साथ मिलाकर तैयार करते हैं। गोमूत्र व राख का मिश्रण बनाकर गणेश प्रतिमा बनाई जाती है। नगर सुरक्षा समिति अध्यक्ष किरण मोरे ने बताया बच्चे को बचपन से ही मूर्ति बनाने का शौक है। 2 साल से पर्यावरण हित को ध्यान में रखते हुए मिट्टी की मूर्तियां बना रहे हैं। इससे पर्यावरण भी नष्ट नहीं होता है और हम अपना त्योहार उल्लास के साथ मना सकते हैं।