बीसीजी वैक्सीन के 30 हजार डोज बाकी:अक्टूबर में हो जाएंगे एक्सपायर, रिएक्शन के डर से लोग नहीं लगवा रहे टीका

टीबी की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग वयस्क बीसीजी टीकाकरण अभियान चला रहा है, इसमें छह श्रेणियों में लोगों को टीके लगाए जा रहे हैं, लेकिन कोविड से बचने लगाए गए वैक्सीन के साइड इफेक्ट की अफवाह का ऐसा डर लोगों में बैठा है कि वो बीसीजी का टीका लगवाने से बच रहे हैं, उन्हें डर है कि कही टीका लगने के बाद किसी प्रकार की समस्या न हो जाए। ऐसे में स्वास्थ्य महकमा बड़ा परेशान है, वजह है कि करीब 30 हजार डोज शेष बचे हुए हैं, जो अक्टूबर माह में एक्सपायर हो जाएंगे। गौरतलब है कि टीबी उन्मूलन प्रोग्राम के तहत वयस्क बीसीजी टीके 18 अधिक आयू वाले लोगों को लगाए जा रहे हैं। इनमें 6 श्रेणी जिनमें टीबी मरीज उसके संपर्क में रहने वाले व्यक्ति, 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग, कुपोषित वयस्क, धूम्रपान करने वाले, मधुमेह के मरीज शामिल हैं। जिले में टीबी टीकाकरण की चाल धीमी है। इसकी कई वजहें सामने आ रही है। इस कारण से 10 फीसदी भी लक्ष्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। मुश्किलों में घिरा टारगेट जिले की आबादी और टीबी मरीजों की हिस्ट्री के हिसाब से जिले को 5 लाख टीकाकरण का लक्ष्य दिया गया है। अभियान मार्च में शुरू हुआ था। छह बीतने के बाद जिले में 50 हजार लोगों को टीके लगाए जा सके हैं। अब लक्ष्य की पूर्ति में स्वास्थ्य महकमे को बड़ी कठिनाईयां आ रही है, आमजन को समझाने में हेल्थ वर्करों के पसीने छूट रहे हैं, समझाइश देने के बाद भी और टीके के फायदे बताने के बाद भी लोग आंगनवाड़ियों में टीके लगवाने नहीं जा रहे हैं। नहीं मिल रहा समर्थन एक बात यह भी सामने आ रही है, टीबी टीककरण को लेकर जिम्मेदारों का वो समर्थन नहीं मिल रहा है, जोकि कोविड वैक्सीनकरण के दौरान अन्य विभागों और अधिकारियों का मिला था। ये बात कहीं न कहीं स्वास्थ्य महकमे को भी खल रही है। सरकारी अधिकारी, कर्मचारी तक भी खुद टीका लगवाने से बच रहे हैं, इससे लक्ष्य पिछड़ता ही जा रहा है। जिला टीकाकरण अधिकारी सीहोर डॉ मेहरवान सिंह ने कहा है कि एक बार वयस्क बीसीजी टीका लगने के पर 15 साल तक टीबी के जोखिम से बचा जा सकता है। लोग अफवाहों से भ्रमित हो रहे हैं, टीके के फायदे उन्हें समझा रहे हैं। अभियान चल रहा है।

टीबी की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग वयस्क बीसीजी टीकाकरण अभियान चला रहा है, इसमें छह श्रेणियों में लोगों को टीके लगाए जा रहे हैं, लेकिन कोविड से बचने लगाए गए वैक्सीन के साइड इफेक्ट की अफवाह का ऐसा डर लोगों में बैठा है कि वो बीसीजी का टीका लगवाने से बच रहे हैं, उन्हें डर है कि कही टीका लगने के बाद किसी प्रकार की समस्या न हो जाए। ऐसे में स्वास्थ्य महकमा बड़ा परेशान है, वजह है कि करीब 30 हजार डोज शेष बचे हुए हैं, जो अक्टूबर माह में एक्सपायर हो जाएंगे। गौरतलब है कि टीबी उन्मूलन प्रोग्राम के तहत वयस्क बीसीजी टीके 18 अधिक आयू वाले लोगों को लगाए जा रहे हैं। इनमें 6 श्रेणी जिनमें टीबी मरीज उसके संपर्क में रहने वाले व्यक्ति, 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग, कुपोषित वयस्क, धूम्रपान करने वाले, मधुमेह के मरीज शामिल हैं। जिले में टीबी टीकाकरण की चाल धीमी है। इसकी कई वजहें सामने आ रही है। इस कारण से 10 फीसदी भी लक्ष्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। मुश्किलों में घिरा टारगेट जिले की आबादी और टीबी मरीजों की हिस्ट्री के हिसाब से जिले को 5 लाख टीकाकरण का लक्ष्य दिया गया है। अभियान मार्च में शुरू हुआ था। छह बीतने के बाद जिले में 50 हजार लोगों को टीके लगाए जा सके हैं। अब लक्ष्य की पूर्ति में स्वास्थ्य महकमे को बड़ी कठिनाईयां आ रही है, आमजन को समझाने में हेल्थ वर्करों के पसीने छूट रहे हैं, समझाइश देने के बाद भी और टीके के फायदे बताने के बाद भी लोग आंगनवाड़ियों में टीके लगवाने नहीं जा रहे हैं। नहीं मिल रहा समर्थन एक बात यह भी सामने आ रही है, टीबी टीककरण को लेकर जिम्मेदारों का वो समर्थन नहीं मिल रहा है, जोकि कोविड वैक्सीनकरण के दौरान अन्य विभागों और अधिकारियों का मिला था। ये बात कहीं न कहीं स्वास्थ्य महकमे को भी खल रही है। सरकारी अधिकारी, कर्मचारी तक भी खुद टीका लगवाने से बच रहे हैं, इससे लक्ष्य पिछड़ता ही जा रहा है। जिला टीकाकरण अधिकारी सीहोर डॉ मेहरवान सिंह ने कहा है कि एक बार वयस्क बीसीजी टीका लगने के पर 15 साल तक टीबी के जोखिम से बचा जा सकता है। लोग अफवाहों से भ्रमित हो रहे हैं, टीके के फायदे उन्हें समझा रहे हैं। अभियान चल रहा है।