नक्सलियों ने ईसाई और मुस्लिम हितों की रक्षा की मांग के साथ सरकार से सशर्त वार्ता की मांग रखी

जगदलपुर। नक्सलियों ने ईसाई और मुस्लिम हितों की रक्षा की मांग के साथ सरकार से सशर्त वार्ता की मांग रखी है। लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया के बीच भाकपा (माओ) की दंडकारण्य जोनल कमेटी की ओर से जारी बयान में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा की तरफ से बीजापुर के जंगलों सहित बस्तर के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार दिए जा रहे वार्ता प्रस्ताव पर प्रश्न खड़ा किया गया है। नक्सलियों का दावा है कि किसानों, मजदूरों और महिलाओं, मध्यम वर्गीय लोगों, छोटे और मंझोले पूंजापतियों, विशेष सामाजिक तबकों यानी आदिवासियों, दलितों, धामिक अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों और ईसाइयों के हितों को छोड़कर उनका कोई हित नहीं है। सभी कर्माचारियों के स्थायीकरण व अन्य मांगों पर जारी बयान में लिखा गया है कि सरकार को वार्ता के लिए अनुकूल वातावरण बनाना चाहिए। इसके लिए कोई बड़ी शर्त नहीं होने का दावा करते हुए प्रवक्ता ने कहा कि सुरक्षा बलों को छह माह के लिए कैंपों तक सीमित करते हुए नए कैंप स्थापित करने की प्रक्रिया बंद की जाए। सरकार की तरफ पहले ही सशर्त वार्ता को अस्वीकृत किया जाता रहा है।

नक्सलियों ने ईसाई और मुस्लिम हितों की रक्षा की मांग के साथ सरकार से सशर्त वार्ता की मांग रखी
जगदलपुर। नक्सलियों ने ईसाई और मुस्लिम हितों की रक्षा की मांग के साथ सरकार से सशर्त वार्ता की मांग रखी है। लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया के बीच भाकपा (माओ) की दंडकारण्य जोनल कमेटी की ओर से जारी बयान में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा की तरफ से बीजापुर के जंगलों सहित बस्तर के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार दिए जा रहे वार्ता प्रस्ताव पर प्रश्न खड़ा किया गया है। नक्सलियों का दावा है कि किसानों, मजदूरों और महिलाओं, मध्यम वर्गीय लोगों, छोटे और मंझोले पूंजापतियों, विशेष सामाजिक तबकों यानी आदिवासियों, दलितों, धामिक अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों और ईसाइयों के हितों को छोड़कर उनका कोई हित नहीं है। सभी कर्माचारियों के स्थायीकरण व अन्य मांगों पर जारी बयान में लिखा गया है कि सरकार को वार्ता के लिए अनुकूल वातावरण बनाना चाहिए। इसके लिए कोई बड़ी शर्त नहीं होने का दावा करते हुए प्रवक्ता ने कहा कि सुरक्षा बलों को छह माह के लिए कैंपों तक सीमित करते हुए नए कैंप स्थापित करने की प्रक्रिया बंद की जाए। सरकार की तरफ पहले ही सशर्त वार्ता को अस्वीकृत किया जाता रहा है।