छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी सांस्कृतिक संध्या में करेंगे शिरकत
छत्तीसगढ़ की पारंपरिक लोक नृत्यों का होगा भव्य आयोजन
प्रगति मैदान में 21 नवंबर को दिल्लीवासियों को छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक कला और संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में एम्फी थियेटर में छत्तीसगढ़ राज्य दिवस का यह आयोजन किया जाएगा, जिसका उद्घाटन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करेंगे।
इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ पवेलियन का भ्रमण कर स्टालों का अवलोकन करेंगे। छत्तीसगढ़ के पवेलियन में 'गढ़बो नवा छत्तीसगढ़' की झलक देखने को मिल रही है। पवेलियन में सशक्त ग्रामीण अर्थव्यवस्था व आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते छत्तीसगढ़ को दिखाने का प्रयास किया गया है।
सांस्कृतिक संध्या में छत्तीसगढ़ की पारंपरिक लोक नृत्यों की झलक दिखेगी। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ से आए लोक कलाकार गौर नृत्य, परब नृत्य, भोजली नृत्य, गेड़ी नृत्य, सुआ नृत्य, पंथी नृत्य और करमा नृत्य की प्रस्तुति देंगे।
सुआ नृत्य
यह छत्तीसगढ़ का एक और लोकप्रिय लोक नृत्य है जो आमतौर पर गौरा के विवाह के अवसर पर किया जाता है।
यह मूलतः महिलाओं और किशोरियों का नृत्य है। इस नृत्य में महिलाएं एक टोकरी में सुआ (मिट्टी का बना तोता) को रखकर उसके चारों ओर नृत्य करती हैं और सुआ गीत गाती हैं। गोल गोल घूम कर इस नृत्य को किया जाता है। तथा हाँथ से या लकड़ी के टुकड़े से ताली बजाई जाती है। इस नृत्य के समापन पर शिव गौरी विवाह का आयोजन किया जाता हैं। इसे गौरी नृत्य भी कहा जाता है।
परब नृत्य
यह नृत्य बस्तर में निवास करने वाले धुरवा जनजाति के द्वारा किया जाता है। यह नृत्य महिला व पुरुष साथ मिलकर बांसुरी, ऑलखाजा तथा ढोल बजाते हुए करते हैं , जिसमें पिरामिड जैसा दृश्य दिखाई पड़ता है। इस नृत्य को सैनिक नृत्य कहा जाता है, क्योंकि नर्तक नृत्य के दौरान वीरता के प्रतीक चिन्ह कुल्हाड़ी व तलवार लिए होते हैं। इस नृत्य का आयोजन मड़ई के अवसर पर किया जाता है।
पंथी नृत्य
यह नृत्य न केवल इस क्षेत्र के लोक नृत्य के सबसे महत्वपूर्ण रूपों में से एक है, बल्कि इसे छत्तीसगढ़ के सतनामी समुदाय का एक प्रमुख रिवाज या समारोह भी माना जाता है। यह नृत्य अक्सर समुदाय द्वारा माघ पूर्णिमा में होने वाले गुरु घासीदास की जयंती के उत्सव के दौरान किया जाता है। लोग इस नृत्य के माध्यम से अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं और अपना प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी भी नृत्य शैली की तरह, यह भी कई चरणों और पैटर्न का एक संयोजन है। हालाँकि, जो चीज इसे अद्वितीय बनाती है, वह यह है कि यह अपने पवित्र गुरु की शिक्षाओं को दर्शाते हैं।
गेंड़ी नृत्य
यह नृत्य संपूर्ण छत्तीसगढ़ में प्रचलित है ,परंतु बस्तर में इसे मुड़िया जनजाति द्वारा सावन माह में हरेली के अवसर पर किया जाता है। यह पुरुष प्रधान नृत्य है, जिसमें पुरुष तीव्र गति से व कुशलता के साथ गेड़ी पर शारीरिक संतुलन को बरकरार रखते हुए नृत्य करते हैं। यह नृत्य शारीरिक कौशल और संतुलन को प्रदर्शित करता है।
करमा नृत्य
एक छत्तीसगढ़ का पारम्परिक नृत्य है। इसे करमा देव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस नृत्य में पारंपरिक पोषक पहनकर लोग नृत्य करते है और छत्तीसगढ़ी गीत गाते है।
छत्तीसगढ़ का यह लोक नृत्य आमतौर पर राज्य के आदिवासी समूहों जैसे गोंड, उरांव, बैगा आदि द्वारा किया जाता है। यह नृत्य वर्षा ऋतु के अंत और वसंत ऋतु की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए किया जाता है। इस नृत्य प्रदर्शन में गांवों के पुरुष और महिलाएं दोनों भाग लेते हैं। कर्मा नृत्य के लिए कलाकारों की टीम में एक प्रमुख गायक भी होता है।
गौर नृत्य
इस नृत्य को बस्तर में निवासरत मारिया जनजाति के द्वारा जात्रा पर्व के अवसर पर किया जाता है। इस नृत्य में युवक सिर पर गौर के सिंह को कौड़ियों से सजाकर उसका मुकुट बनाकर पहनते हैं । अतः इस नृत्य को गौर नित्य भी कहा जाता है। इस नृत्य में केवल पुरुष भाग लेते हैं। महिलाओं द्वारा केवल वाद्य यंत्र को बजाया जाता है जिसे तिर्तुडडी कहते हैं।
गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के पोषण स्तर में हो रहा नियमित सुधार
गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के पोषण स्तर में हो रहा नियमित सुधार
विकासखंड मस्तूरी के ग्राम रिस्दा के दंपत्ति महेश एवं श कांति के लिए 16 दिसम्बर 2019 का दिन खुशियां लेकर आया। इस दिन उनके घर में बच्चे की किलकारी गूंजी। दंपत्ति बच्चे के जन्म से खुश तो थे लेकिन बच्ची के वजन को लेकर चिन्तित भी थे। सुपोषण अभियान से लाभान्वित होने से पहले कनिष्का का वजन 9 कि.ग्रा. था। कनिष्का मध्यम कुपोषित की श्रेणी में थी। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से लाभान्वित होने के बाद अब उसका वजन बढ़कर अब 11 किलो 700 ग्राम हो गया है। कनिष्का अब कुपोषण से मुक्त हो गयी है। आंगनबाड़ी केंद्र में नियमित देखभाल एवं पौष्टिक आहार से कनिष्का का वजन अब बढ़ गया है। कनिष्का की सेहत में सुधार से उसके माता-पिता बहुत खुश हैं एवं इस योजना के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। मस्तूरी प्रोजेक्ट में अगस्त माह 2022 से अब तक 244 बच्चें कुपोषण की जद से बाहर आ चुके है।
इसी प्रकार मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत गर्भवती एवं शिशुवती माताओं को भी गरम भोजन से लाभान्वित किया जा रहा है। स्व सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों में गरम भोजन तैयार कर प्रदाय किया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से लाभान्वित गर्भवती माता अर्चना दिलहरण है। इनके द्वारा नियमित रूप से आंगनबाड़ी में आकर गरम भोजन का लाभ लिया जा रहा है। इस प्रकार योजना से लाभान्वित होने वाली अन्य गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के पोषण स्तर में नियमित सुधार हो रहा है।
स्कूल निरीक्षण में पहुंचे कलेक्टर पी.एस. ध्रुव ने शिक्षक के रूप में बच्चों को पढ़ाया ‘विज्ञान के चमत्कार‘ का पाठ
शालाओं में अध्ययन-अध्यापन, शिक्षा की गुणवत्ता, शिक्षकों की उपस्थिति का जायजा लेने 18 नवम्बर शुक्रवार को आकस्मिक दौरे पर निकले मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर के कलेक्टर श्री पी.एस. ध्रुव ने मनेन्द्रगढ़ तहसील के ग्राम सिरोली की प्राथमिक शाला की कक्षा चौथी क्लास के बच्चों से किराना सामानों की खरीदी और राशि भुगतान के संबंध में सवाल पूछकर उनके गणितीय ज्ञान को परखा। सिरोली गांव के माध्यमिक शाला में आत्म रक्षा के लिए कराटे का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही बालिकाओं से मिले और उनका हौसला बढ़ाया। हायर सेकेण्डरी स्कूल कोथारी में कक्षा 11वीं के बच्चों की क्लास लेकर उन्हें विज्ञान के चमत्कार का पाठ भी पढ़ाया।
कलेक्टर ध्रुव प्राथमिक शाला सिरोली में कक्षा चौथी के बच्चों के गणितीय ज्ञान का आंकलन के लिए तेल, चावल, धनिया, मसाला और टमाटर की अलग-अलग मात्रा और मूल्य बताते हुए क्रय उपरांत राशि के लेन-देन के बारे में उत्तर देने को कहा, जिसे बच्चों ने कुछ समय में अपनी कॉपी में हल कर उन्हें दिखाया। इसके पश्चात कक्षा पांचवीं के बच्चों का भाषा ज्ञान परखने के लिए ‘मेहनत का फल मीठा होता है‘ का निहतार्थ पूछा। माध्यमिक शाला सिरोली के निरीक्षण के दौरान प्रशिक्षक द्वारा स्कूली बच्चियों को आत्म रक्षा के लिए दी जा कराटे ट्रेनिंग का मुआयना किया। कलेक्टर ने सभी बच्चियों की हौसला अफजाई की और कहा कि इससे उनमें साहस और आत्मविश्वास पैदा होगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन द्वारा स्कूली बालिकाओं को आत्म रक्षा के लिए जिले के चुनिंदा स्कूलों में दुर्गावती पायलट प्रोजेक्ट के माध्यम से कराटे की ट्रेनिंग दी जा रही है।
कलेक्टर ध्रुव ने इसके पश्चात उप स्वास्थ्य केन्द्र हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर सिरोली का मुआयना कर वहां मरीजों को मिल रहे उपचार एवं दवाओं की उपलब्धता की भी जानकारी ली। कलेक्टर ने सेंटर में आने वाले सभी मरीजों का डाटा संधारित करने के साथ ही हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर में साफ-सफाई का विशेष रूप में ध्यान रखे जाने के निर्देश दिए। हायर सेकेण्डरी स्कूल कोथारी में उन्होंने बच्चों को विज्ञान के चमत्कार का पाठ पढ़ाते हुए प्राचीन काल से आज तक की स्थिति में विभिन्न क्षेत्रों विज्ञान के माध्यम से तरक्की और इसके लाभ के बारे में रोचक ढंग से जानकारी दी। कलेक्टर ने इस मौके पर शिक्षकों की उपस्थिति पंजी चेक की और प्रयोगशाला का भी मुआयना किया। हायर सेकेण्डरी स्कूल परिसर के साफ-सुथरा कराने के निर्देश भी दिए।
कलेक्टर ने प्राथमिक शाला कोथारी के निरीक्षण के दौरान मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता परखी और बच्चों से मीनू के आधार पर मध्यान्ह भोजन मिलने के बारे में पूछताछ की। कलेक्टर ने रसोईयां को मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता और साफ-सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखने के निर्देश दिए। ग्रामीणों द्वारा कोथारी स्कूल में शिक्षक की मांग के मद्देनजर कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी अजय मिश्रा को दर्ज संख्या के आधार पर स्कूल में शिक्षक की पदस्थापना के निर्देश दिए। माध्यमिक शाला कोथारी का भी कलेक्टर ने मुआयना किया और लकवा पीड़ित प्रधान पाठक के स्वास्थ्य की जानकारी ली।
नलवा स्टील एंड पावर लिमिटेड के तत्वाधान में रविवार 20 नवंबर को नेत्र शिविर का आयोजन मोतीमपुर खुर्द गांव के आंगनवाड़ी केंद्र में सुबह 10 बजे से शाम 3 बजे तक किया जाएगा। वातानुकूलित एंबुलेंस में लगे अत्याधुनिक मशीनों से आंखों के विशेषज्ञ डाक्टरों द्वारा निशुल्क आंखों की जांच एवम जरूरतमंदों को निशुल्क चश्मा वितरण भी किया जाएगा।
कैंप में परीक्षण के दौरान पाये गए मोतियांबिंद के मरीजों का बाद में सुविधानुसार इच्छुक मरीज़ों का रायपुर स्थित अस्पताल में निशुल्क ऑपरेशन की व्यवस्था भी की गयी है।
नलवा स्टील को इस क्षेत्र के पचरि अलेसुर, छड़िया, मोतीमपुर खुर्द ,मघयीपुर ग्राम में चुना पत्थर खदान का आबंटन हुआ है और अपने सामाजिक दायित्वों के निर्वाहन में यह उसका पहला कदम है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के लिए डोंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र के ग्राम घुमका पहुंचे।
यहां हेलीपैड में जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया।
कांकेर मेडिकल कॉलेज में हुआ दाखिला
गोबर बेचने से मिली राशि से हुई कोटा में नीट परीक्षा की कोचिंग की व्यवस्था, मेडिकल कॉलेज दाखिले में भी यह राशि आई काम
पशुपालक किसान ने मुख्यमंत्री के प्रति जताया आभार
छत्तीसगढ़ में शुरू हुई गांव-गांव गोबर खरीदी से ग्रामीणों को कई प्रकार की सुविधाएं मिल रही हैं। गोधन न्याय योजना से मिलने वाली राशि का उपयोग ग्रामीण पशुपालक अब अपने बच्चों की स्कूली पढ़ाई-लिखाई और उच्च शिक्षा के लिए कर रहे हैं। मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के आलोक सिंह का नीट परीक्षा के लिए कोचिंग की फीस और मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए गोधन न्याय योजना से मिली राशि बहुत काम आई है। आमखेरवा गांव के रहने वाले आलोक के पिता संतोष सिंह का मानना है कि उनके जीवन में गोधन न्याय योजना ने खुशियों के रंग भर दिए हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आलोक सिंह के परिवार और उनकी पृष्ठ भूमि के बारे में तथा मेडिकल में चयन की जानकारी मिली तो, उन्होंने आलोक सिंह और उनके माता-पिता को फोन कर बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। संतोष मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहते हैं कि गोधन न्याय योजना सच में हम जैसे जरूरतमंद लोगों के बड़े सपनों को साकार करने वाली योजना है, आपके इस जनहितैषी योजना से आज मेरा भी सपना पूरा हुआ है। उन्होंने बताया कि आलोक के नीट परीक्षा के कोचिंग के लिए गोधन न्याय योजना की राशि बहुत काम आई। इसी योजना की राशि से मेडिकल कॉलेज की फीस भरी गई।
आलोक के पिता संतोष बताते हैं कि उन्हें जैसे ही बेटे की सफलता का पता चला पूरे परिवार में खुशियों की लहर दौड़ पड़ी, क्योंकि सभी का चाहते थे की आलोक डॉक्टर बनकर परिवार का नाम रौशन करे। वे बताते हैं कि परिवार की आर्थिक स्थिति को देखकर हमने कभी नहीं सोचा था कि यह दिन भी आएगा, क्योंकि एक साधारण आठ सदस्यीय पशुपालक परिवार के रूप में यह सोचना भी हमारे लिए सपना था, लेकिन गोधन न्याय योजना से यह सपना आज पूरा हुआ है।
उन्होंने बताया कि उनके पास लगभग 40 पशु हैं, छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना की शुरुआत से वह गोबर विक्रय कर रहे हैं, उन्होंने अब तक कुल 3 लाख 25 हजार रुपए का गोबर बेचा है। उन्होंने बताया कि 12 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आलोक ने राजस्थान स्थित कोटा से नीट की परीक्षा हेतु कोचिंग करने की इच्छा जाहिर की, कोचिंग हेतु फीस का पूरा खर्च गोबर विक्रय से प्राप्त राशि से हो गया और आज बेटे की सफलता ने मुझे गौरवान्वित किया, आलोक का दाखिला कांकेर के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में होगा।
मुख्यमंत्री ने किया डॉ. बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा का अनावरण
डोंगरगांव में सामाजिक अधिकार सम्मेलन में शामिल हुए मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री बघेल ने आज डोंगरगांव नगर में आयोजित सामाजिक अधिकार सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि बाबा साहब अम्बेडकर ने हमें संविधान के माध्यम से अधिकार दिए हैं। सबको शिक्षा, रोजगार आदि का अधिकार मिले, इस पर हम कार्य कर रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में लोगों को आरक्षण का लाभ मिलता है। निजीकरण किए जाने से इसके लाभ से बहुसंख्यक लोग वंचित रह जाते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सबको न्यायपूर्ण आरक्षण मिलेगा। आरक्षण के संबंध में एक और 2 दिसम्बर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है।
मुख्यमंत्री ने शासकीय महाविद्यालय डोंगरगांव में डॉ. बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा का अनावरण किया। समाज के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग समाज के लिए किए जा रहे कार्याें और कल्याणकारी योजनाओं के लिए उन्हें धन्यवाद देते हुए आभार जताया। समाज के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री का स्वागत पुष्पगुच्छ और गमछा भेंटकर किया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि खेती-किसानी का इतना सारा काम है फिर भी आप लोगों ने समय निकाला है। आप लोग मेहनतकश हैं। जब श्रम का सम्मान होता है, देश उन्नति करता है। उन्होंने कहा कि यहां आने का उद्देश्य आपसे मिलना है, दुख-सुख साझा करना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार श्रम का सम्मान करती है। प्रदेश में किसान का सबसे बड़ा वर्ग है और वह ऋण मुक्त है। उन्होंने कहा कि किसान पहले कर्जा लेकर दिवाली मनाते थे, अब किसानों के खाते में त्वरित पैसा जा रहा है। पहले डेयरी चलाना मुश्किल हो गया था, अब गोधन न्याय योजना से गोपालकों को संबल मिला है। मेहनतकश समाज उठ खड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि राजनांदगांव में कोदो-कुटकी का उत्पादन होता है। हमने इसे खरीदना शुरू किया। राज्य में 65 प्रकार के लघु वनोपज का संग्रहण कर रहे हैं। हमारी सरकार लोगों के वास्तविक सरोकार से जुड़ी हैं। हमने ऐसी नीतियां बनाई हैं, जिससे लोगों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो। प्रदेश में संचालित गौठानों में रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए रूरल इंडस्ट्रियल पार्क आरंभ किए गए हैं। इससे गांव के युवाओं के लिए उद्यम का रास्ता खुल गया है। गांव में इस तरह से रोजगार सृजन देश में पहली बार हो रहा है।
कुपोषण से लड़ने में फोर्टिफाइड चावल बहुत उपयोगी....इसके सेवन से बच्चों में बेहतर पोषण और स्वास्थ्य हो रहा सुनिश्चित
छत्तीसगढ़ में मध्याह्न भोजन में फोर्टिफाइड चावल का हो रहा वितरण
प्रत्येक माता-पिता की ख्वाइश होती है कि उनके बच्चे स्वस्थ्य रहें। लेकिन उनकी चिंता तब बढ़ जाती है जब बच्चे खाने-पीने में आनाकानी करते हैं। इससे बच्चों के शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने लगती है और उनकी वृद्धि प्रभावित होती है। इसके साथ कुछ बच्चे जन्म से ही कुपोषित होते हैं। बच्चों का बेहतर स्वास्थ्य और सुपोषण स्तर बना रहे इसके लिये मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर मध्याह्न भोजन में फोर्टिफाइड चावल का वितरण शुरू किया गया है। फोर्टिफाइड चावल वितरण की शुरूआत कोण्डागांव जिले से हुई थी। फोर्टिफाईड चावल क्या होता है..ये कैसे बनाया जाता है और बच्चों के लिये ये कैसे उपयोगी है..इस लेख में आपको बताते हैं।
फूड या खाद्य पदार्थों के फोर्टीफिकेशन का क्या मतलब होता है...?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक फूड फोर्टीफिकेशन का मतलब होता है टेक्नोलॉजी के माध्यम से खाने में विटामिन और मिनरल के स्तर को बढ़ाना। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि आहार में पोषक तत्वों की कमी को दूर किया जा सके और इससे लोगों के स्वास्थ्य को भी लाभ मिले।
चावल में पहले से ही पोषक तत्व होते है फिर उसके फोर्टीफिकेशन की क्या जरूरत है?
आम तौर पर चावल की मिलिंग और पॉलिशिंग के समय फैट और सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर चोकर की परतें हट जाती है। चावल की पॉलिश करने से 75-90 प्रतिशत विटामिन भी निकल जाते है जिसके वजह से चावल के अपने पोषक तत्व खत्म हो जाते है। इसलिए चावल को फोर्टिफाई करने से उनमें सूक्ष्म पोषक तत्व न सिर्फ फिर से जुड़ जाते है बल्कि और ज्यादा मात्रा में मिलाये जाते है जिससे चावल और ज्यादा पौष्टिक बन जाता है।
कुपोषण से लड़ने के लिए जरूरी है चावल का फोर्टीफिकेशन
छत्तीसगढ़ देश का प्रमुख चावल उत्पादक राज्य है। विश्व में 22 प्रतिशत चावल का उत्पादन भारत करता है और हमारे देश में 65 प्रतिशत आबादी रोज़ चावल का सेवन करती है। इतना ही नहीं, भारत में प्रति व्यक्ति चावल की खपत प्रति माह 6.8 किलोग्राम है। भारत में खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों में चावल का वितरण भी बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। इसलिए देश की ज्यादातर आबादी के लिए चावल ऊर्जा और पोषण का एक बड़ा स्रोत है और कुपोषण से लड़ने के लिए चावल का फोर्टीफिकेशन एक कारगर रणनीति है। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के कई देश चावल के फोर्टीफिकेशन की रणनीति को लागू कर रहे है।
चावल को ऐसे करते हैं फोर्टीफाई ...
चावल को फोर्टीफाई करने के लिए सबसे पहले सामान्य चावल का पाउडर बनाया जाता है और उसमे सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे विटामिन B 12, फोलिक एसिड और आयरन, FSSAI के मानकों के अनुसार मिलाये जाते है। चावल के पाउडर और विटामिन/मिनरल के मिश्रण को मशीनों द्वारा गूंथा जाता है और एक्सट्रूजन नामक मशीन से चावल के दानों फोर्टिफाइड राइस कर्नेल FRK को निकाला जाता है। इस FRK के एक दाने (ग्राम) को सामान्य चावल के 100 दानों (ग्राम) के अनुपात में मिलाया जाता है जिसे फोर्टीफाइड चावल कहते है।
फोर्टीफाइड चावल खाने के फायदे...
फोर्टीफाइड चावल में कई पोषक गुण है क्यूंकि इसमें आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B 12 जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व या माइक्रोन्युट्रिएंट्स मिलाये जाते है। ये पोषक तत्व अनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से बचाता है।
आयरन अनीमिया से बचाव करता है, फोलिक एसिड खून बनाने में सहायक होता है और विटामिन B 12 नर्वस सिस्टम के सामान्य कामकाज में सहायक होता है। फोर्टीफाइड चावल के नियमित सेवन से बेहतर पोषण और स्वास्थ्य सुनिश्चित होता है।
ऐसे पकाया जाता है फोर्टीफाइड चावल
अधिकतम पौष्टिक लाभ के लिए फोर्टीफाइड चावल को पर्याप्त पानी में पकाना चाहिए और बचे हुए पानी को फेंकना नहीं चाहिए। अगर चावल को बनाने से पहले पानी में भिगोया गया हो तो चावल को उसी पानी में पकाना चाहिए। फोर्टीफाइड चावल को हर बार इस्तेमाल करने के बाद साफ और सूखे हवा-बंद डब्बे में रखना चाहिए।
फोर्टीफाइड चावल कहाँ मिलता है?
फोर्टीफाइड चावल सरकारी राशन की दुकानों पर मिलता है। यह चावल आंगनवाड़ी केंद्रों पर दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार और स्कूलों में मध्यान्ह भोजन में भी दिया जाता है।
फोर्टीफाइड चावल से संबंधित कुछ भ्रांतियां और तथ्य
भ्रान्ति: फोर्टीफाइड चावल प्लास्टिक चावल है ।
तथ्यः चावल को थ्त्ज्ञ के साथ 100ः1 के अनुपात में मिलाकर फोर्टीफाइड चावल तैयार किया जाता है। थ्त्ज्ञ को चावल के आटे और प्रीमिक्स से तैयार किया जाता है जिसमें आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी 12 होता है जिसे एक साथ मिश्रित किया जाता है। इसमें प्लास्टिक जैसा कुछ भी नहीं होता और यह उपभोग करने के लिए पूरी तरह से सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक है।
भ्रान्तिः फोर्टीफाइड चावल के स्वाद, सुगंध और पकाने की विधि में परिवर्तन होता है।
तथ्यः स्वाद, सुगंध और दिखने में फोर्टीफाइड चावल सामान्य चावल के जैसा ही होता है। इसे सामान्य चावल की तरह ही पकाकर सेवन करना चाहिए।
भ्रान्तिः फोर्टीफाइड चावल में पोषक तत्व खाना पकाने के दौरान नष्ट हो जाते हैं।
तथ्यः फोर्टीफाइड चावल पकाने के दौरान अपने पोषक तत्वों को बरकरार रखता है। अत्यधिक पानी में धोने और पकाने के दौरान भी पोषक तत्व अवशेष बरकरार रहते हैं।
समग्र विकास को गतिशील बनाने में सड़कों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। सड़कें विकास की संवाहक होती है। सड़कों के माध्यम से ही तरक्की का पहिया तेजी से घूमता है। स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को सुदूर अंचल तक विस्तारित करने में सड़कें महत्वपूर्ण रोल अदा करती है। अच्छी और गुणवत्तापूर्ण सड़कें खुशहाल और समृद्ध अर्थव्यवस्था की परिचायक है, जहां सड़क अच्छी होती है, उन जगहों पर सुविधाएं पहुंचाने में आसानी होती है। सड़क केवल बसाहटों को नहीं जोडती हैं, बल्कि सडकें, सुविधाओं का विस्तार और विकास भी सुनिनिश्चित करती हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर सरगुजा अंचल से लेकर बस्तर अंचल तक की सड़कों की मरम्मत एवं निर्माण का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। सड़कों का निर्माण और मरम्मत का काम गुणवत्तापूर्ण हो, इसके लिए संबंधित जिलों के कलेक्टर स्वयं इस कार्य की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
पिछले दिनों प्रदेश के विभिन्न जिलों में आयोजित भेंट-मुलाकात में पहुंचे मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने जिलों के अधिकारियों को खराब सड़कों की मरम्मत एवं जीर्णाेंद्धार का काम प्राथमिकता के साथ करने के निर्देश दिए थे। क्षेत्र की जरूरत के अनुसार उन्होंने नई सड़कों के निर्माण की भी घोषणा की थी। राज्य में नवीन सड़कों का निर्माण और पुरानी सड़कों के मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया है।
राज्य में अब तक एक हजार करोड़ रूपए की लागत से सड़कों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। दिसम्बर 2022 तक 165 सड़कों एवं पुलों, मार्च 2023 तक 180, जून 2023 तक 99, जुलाई 2023 तक 29 सड़कों एवं पुलों सहित कुल 483 कार्यांे को छत्तीसगढ़ रोड़ एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कार्पाेरेशन लिमिटेड द्वारा पूरा कराए जाने का लक्ष्य रखा गया है। छत्तीसगढ़ रोड एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेव्लपमेंट कॉर्पाेरेशन लिमिटेड द्वारा जिला कोरबा अंतर्गत कटघोरा-हरदीबाजार-बलौदा-अकलतरा मार्ग में निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिला रायगढ़ अतंर्गत चंद्रपुर-डभरा-खरसिया-धरमजयगढ़-पत्थलगांव मार्ग का नवीनीकरण कार्य प्रगति पर है, जिन्हें शीघ्र पूरा करा लिया जायेगा। जिला जांजगीर चांपा अंतर्गत फगुरम से डभरा होते हुये चंद्रपुर मार्ग, जिला दुर्ग अंतर्गत दुर्ग अण्डा उतई पाटन अभनपुर मार्ग, दुर्ग के एसीसी चौक जामुल से नंदिनी अहिवारा मार्ग, जिला बालोद के आदमाबाद घोटिया डौंडी मार्ग, जिला जशपुर के बतौली-बगीचा-चरईडांड मार्ग, जिला सरगुजा के अंबिकापुर-दरिमा-नवानगर मार्ग, जिला बस्तर के जगदलपुर बायपास मार्ग का उन्नयन एवं नवीनीकरण कार्य प्रगति पर है जिसे शीघ्र पूर्ण कराया जा रहा है। इसी प्रकार राष्ट्रीय राजमार्ग, एडीबी परियोजना एवं बजट में सम्मिलित विभिन्न योजना के तहत निर्मित एवं निर्माणाधीन सड़क और पुल के कार्य तेजी से पूर्ण कराये जा रहे हैं।