गुण्डाधूर सम्मान
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम मं जनजातीय क्षेत्र के क्रंातिवीर मन मं बस्तर के गुण्डाधूर के नाम बहुंत श्रद्धा के साथ लेय जाथे। इनकर जन्म बस्तर के नेतानार गांव मं होय रहिस। धुरवा जाति के ये वीर युवक सन् 1910 के आदिवासी विद्रोह के प्रमुख सूत्रधार रहिस। वो समय अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जनता के आक्रोस बस्तर मं भूमकाल के रूप मं प्रकट होय रहिस। ये जागरन के केन्द्र मं गुण्डाधूर के अदम्य साहस, सौर्य अउ उनकर रणनीति ले आदिवासी समुदाय बहुंत प्रभावित होइस। फरवरी 1910 के समूचा बस्तर मं विद्रोह के भूचाल आ गेय रहिस। गुण्डाधूर के नेतृत्व मं अंग्रेंजी षासन के जड़ ले उखाड़ फेके खातिर सासकीय संस्था मनके अउ संपत्ति ल निसाना बनाय गइस।
गुण्डाधूर ह अपन सहयोगी मनला सकेल के गांव अलनार मं अंगे्रज मन संग मुकाबला करिन। गुण्डाधूर ल चारो मुड़ा ले घेर लेय गईस। फेर सैनिक मनके बंदूक के सामना करत हुए वो बंच निकलिन। अंग्रेज मन वोला बस्तर के चप्पाचप्पा छान मारिन, लेकिन गुण्डाधूर अंत तक पकड़ मं नई आइन।
उन एक महान सेनानी, छापा मार युद्ध के जानकार अउ देष भक्त होय के संगे संग आदिवासी मनके पारंपरिक हित के रक्षा खातिर बड़ जागरूक रहिन। छत्तीसगढ़ सासन ह उनकर स्मृति मं साहसिक काम अउ खेल के क्षेत्र मं उत्कृस्ट प्रदर्सन के खातिर गुण्डाधूर के नाव मं सम्मान के स्थापना करे हे। ये सम्मान के स्थापना सन 2001 ले करे गेय हे।