शहीद गेंद सिंह

शहीद गेंद सिंह

12-Sep-2018
‘‘शहीद गेंदसिंह’’ छत्तीसगढ़ राज्य के एक प्रमुख क्षेत्र हे बस्तर। अंग्रेज ह अपन कुटिल चाल चलके बस्तर बस्तर अपन षिकंजा मं जकड़ ले रहिस। बस्तर के वनवासी मनके नैतिक, आर्थिक अउ सामाजिक षोषण करत रहिस। एकर से वनवासी संस्कृति के समाप्त होय के खतरा बाढ़त जात रहिस। एकिसम बस्तर के जंगल आक्रोष मं गरमा गेय रहिस। वो दिन परलकोट के जमींदार रहिस श्री गेंद सिंह। वो पराक्रमी, बुद्धिमना, चतुरा अउ न्यायप्रिय व्यक्ति रहिस। उनकर इच्छा रहिस के उनकर क्षेत्र के प्रजा प्रसन्न रहै। उनकर कोनो किसम से षोषण न होवय। एकर बर उन लगाजार हर सम्भव प्रयास करत रहैं। उनकर ये इच्छा मं अंग्रेज के पिट्ठू कुछ जमींदार व्यापारी अउ राजकर्मचारी बाधक बने रहैं। उन सब उनला परेषान करे के प्रयास करत रहंत। परलकोट मं ब्रिटिष अधिकारी मनके जमावड़ा ले अबूझ माड़िया आदिवासी मनला अपन पहिचान नंदाय के खतरा उत्पन्न हो गेय रहिस। परदेषी के हस्तक्षेप से अबूझमाड़िया अपन संस्कृति के प्रति घलव खतरा महसूस करे लगे रहिन। अगे्रज मनके षोषण नीति से अबूझमाड़िया तंग आ चुके थे। गेंद सिंह के माध्यम से अबूझमाड़िया एक अइसन संसार की रचना करना चाहत रहिन के जहां लूट-खसोट अउ षोषण के नाम निसान बिलकुल न होवय। ये विचार उनमं अंग्रेजन के प्रति बदला के भावना के प्रमुख कारण बन गेय रहिस। गेंद सिंह के आव्हान मं अबूझमाड़िया स्त्री-पुरुष परल कोट मं एक जघा जुरे लगीन। अबूझमाड़ी महिला रमोतीन के अगवानी मं धवऱा रूख के डारा ल विद्रोह के संकेत केे रूप मं एक जघा ले दूसर जघा भेजे जात रहिस। पत्ता के सुखाय से पहली वर्ग विषेष ल विद्रोही मन के पास भेजे के उदीम करे जाय। कम समय मं घलव पूरा माड़ अंचल मं मातृ भूमि ल अंग्रेजन के पराधीनता से मुक्त कराय के चिंगारी फैल दे गइ स। कम समय मं पूरा माड़ मं अंग्रेज के खिलाफ नफरत फैल गयी। अबझमाड़ के स्त्री पुरुष मन 24 दिसम्बर 1824 ई. के अंग्रेजन के खिलाफ ‘‘मुक्ति’’ आन्दोलन छेड़ देय रहिन। क्रांतिकारी 4 जनवरी 1825 ई. तक अबूझमाड़ ले चांदा तक छा गेय रहिन। गेंद सिंह के नेतृत्व मं क्रंातिकारी आदिवासी अंग्रेज मनके विरूद्ध ठाड़ हो गे रहिन। जब कभू कउनों अंग्रेज पकड़ मं आजाय त ओकर बुटी बुटी कर डारंय। ये मुक्ति संग्राम के चलउकी अलग-अलग टुकड़ी मं अबूझ माड़िया मन करत रहिन। जेमा महिला मनके घलव बड़ संख्या मं सामिल रहिन। अइसन किसम ले सम्मिलित रूप मं आंदोलन चलावत रहिन हें। रात मं कं्रातिकारी मन घोटुल मनमा इकट्ठा होवत रहंय। आगू दिन उन अंग्रज मनके संग कइसन ढंग ले युद्ध करे जाही एकर बारे मं योजना बनावत रहंुय। क्रंातिकारी मनके प्रमुख लक्ष्य विदेषी सत्ता ल ससन भर के धुर्रा चटवाना अउ परल कोट के संगे संग बस्तर क गुलामी ले मुक्ति देवाना रहिस। गेंद सिंह के आन्दोलन ले छत्तीसगढ़ के अंग्रेज अधीक्षक एग्न्यू घबड़ा कांप गय रहिस। गेंद सिंह के अइसन आन्दोलन ल अंगे्रजन विद्रोह मानत रहय। जेकर दमन करे बर एगन्यू ह चांदा के पुलिस अधीक्षक केप्टन पेव ले मदद मांगिस। केप्टन पेव ह अंग्रेजी सेना के बल मं परील कोट के कं्रातिकारी मनके संग मं युद्ध करिस। जेन बेरा लगातार अट्ठारा दिन तक 24 दिसंबर ले 10 जनवरी 1825 तक क्रंातिकारी अउ अंग्रेज मनके बीच युद्ध चले रहिस। ये लड़ाई मं गैंद सिंह के द्वारा जैविक युद्ध करे जाय के घलव प्रमाण मिलथे। जिनमा इनकर द्वारा मंत्र तंत्र के षक्ति ले मछेव ’’मधु मक्खी’’ के आवाहन करे जावय अउ उनला अंगे्रज अउ मराठा सैनिक मनके उूपर छोंड़ देय जावत रहय। अंग्रेज अउ मराठा सैनिक मनला काट खावंय। उनला मधु मक्खी मनके कटई के मारे मैदान छोंड़ के भागतेच दिखय। उन आगू नई बढ़ पात रहंय। जेकर सेती गैंद सिंह ल युद्ध करे खातिर बने मउंका मिल जावत रहय। युद्ध मं कउनों पुरुष सिपाही गिर मर जांय त महिला सिपाही मनके द्वारा युद्ध चालू रखे जावै। फेरष्पुस्तैनी षस्त्र के धरे रहे के कारण अबूझ माड़िया अंग्रेज मनन के आधुनिक षस्त्र के आगू टिक नई पाईन। अंत मं उनकर पराजय होगे। 10 जनवरी तक युद्ध चले के बाद समाप्त होगे। अंग्रेज मन आखिर गेंद सिंह ल पकड़ डारिन। गंेद सिंह उपर अंग्रेज मनन झूंठ मंूठ के मुकदमा चलाइन। 20 जनवरी 1825 ई. के अंग्रेज मन गेंद सिंह ल ओकरे महल किला के आगूच मं फंासी लगा देइन। गैंद सिंह के बलिदान परल कोट के धरती के मुक्ति अउ बस्तर के अस्मिता के रक्षा के रक्षा मं परान तजे के एक सुरता राखे के लाइक उदाहण अउ अध्याय हे। गेंद सिंह ह अपन स्वाभिमान अउ मातृ भूमि के रक्षा अउ गुलामी ले मुक्ति के आंदोलन चलाय रहिस। गेंद सिंह के उत्सर्ग काल के निष्कर्ष ले निकरे एक स्वर्ण रेखा बरोबर हे। अंग्रेजन के विरूद्ध स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम षंखनाद करइया गैंद सिंह के आत्मोत्सर्ग अनूठा अउ अविस्मरणीय हे। हल्बा आदिवासी समाज संपूर्ण छत्तीसगढ़़ के माथा इस तथ्य के बोध ले गर्व ले उठे हुए हे। जेन बस्तर जइसन पिछडे़ आदिवासी बहुल अंचल मं स्वतंत्रता के चेतना के प्रथम बीजा रोपण गैंद सिंह जी ह करे हे। गैंद सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम बर बस्तर अउ छत्तीसगढ़ समेंत पूरा राष्ट के प्रथम षहीद माने मं बढ़ा चढ़ा के कहना नई हो सकय। राष्ट भक्ति अउ स्वाभिमान के रक्षा के पे्ररणा ग्रहण करना ही देश के प्रथम शहीद गेंद सिंह के प्रति सिरतोन श्रद्धांजलि होही।

leave a comment