अगहन बिरस्पत
अगहन बिरस्पत....
अगहन बिरस्पत म होथे लक्ष्मी दाई के बासा.....
कार्तिक महीना के जाय के बाद अगहन महीना लगथे।अउ अगहन महीना मा जउन दिन बिरस्पत परथे उही दिन हमर छत्तीसगढ़ म घरो घर अगहन बिरस्पत के परब बड़ उछाह ले मनाथें। बिकट मान गौन के संग लक्ष्मी माता के पूजा करथें। बुधवार के संझा बेरा ले घर के साफ सफाई, अँगना परछी कुरिया के लिपाई। घर के मुहाटी मा सुघर चउँक पुरके महिला मन रंगोली बनाथें। लक्ष्मी माता ला जेन जघा मढ़ाथें उहू जगा ला सफ्फा करके चाउँर पिसान ला घोर के चउँक पूरथे। घर के ओंटा कोंटा के साफ सफाई करके लक्ष्मी माता के स्थापना करथे। सुघर आमा पत्ता, फूल पान, नरियर, आँवला फल, आँवला पत्ती, केरा पत्ता,
अउ,कंद मूल जिमी काँदा, धान के बाली मा सजा के कलश के स्थापना करथे। अउ बुधवार के रात मा सबो जूठा बरतन भाड़ा ला माँज के रखथे, अउ घर मुहाटी ले लक्ष्मी माता के वास तक चाउँर पिसान के सुघर पांव के छप्पा बनाथे। राते मा माता करा दीया जला के रखथे।
मुँधरहा ले घर के महिला मन उठ जाथें, नहा धोके घर के दुवारी, रंगोली अउ तुलसी चौंरा मा दीया जलाथें। दीया जलाके घर के दरवाजा ला खोल के रखथें। जेन हा दिन भर खुले रहिथें। पूजा पाठ करके महिला मन उपास रहिथें अउ माता के ध्यान मा लीन रहिथे। अउ ये पूजा के एक ठन अउ खास बात हवै, बुधवारे के दिन महिला मन अपन अपन घर मा सबो मनखे ला चेता के रखे रहिथे आज चुंदी, नाखून नइ कटाना हे, साबुन से नहाना नइ हे, बाल नइ धोना हे, पइसा खरचा भी नइ करना हे, कपड़ा लत्ता धोय के मनाही हे कहिके चेताँय रहिथे। माने भारी नियम धियम माने बर परथे। महिला मन सुघर नवा नवा साड़ी पहिन टिकली, माँहुर, काजर आँज अपन आप ला सुंदर अउ स्वच्छ बनाय रखथे। ये दिन पीला फल, पीला कपड़ा, पीला भोग के बड़ महत्व रहिथे। दान मा केला फल, भोग मा चना के दाल ला बड़ शुभदायी मानथे।
पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक पुन्नी के साथे मा अगहन के शुरुआत हो जथे, महिला मन अपन घर के सुख समृद्धि अउ यश, धन खातिर माता लक्ष्मी के आराधना करथे। येकर पीछू मान्यता इही हे कि माता लक्ष्मी अगहन महीना मा क्षीरसागर ले निकल पृथ्वी लोक मा विचरण करत रहिथें। जेन मन धरम करम से माता के पूजा पाठ करथे तेकर घर आके वोहा वास करथे। अउ ओकर घर मा सुख, शाँति, समृद्धि अउ ऐश्वर्य के वास हो जथे। इही मान्यता खातिर ये तिहार ला हमर छत्तीसगढ़ मा नियम धियम अउ पारंपरिक रूप ले मनाथे। ये दिन लक्ष्मी पूजा के साथे साथ सुरुज देवता के पूजा, शंख के पूजा अउ ल भारी फलदायी मानथे। अइसे मान्यता हावय सुरुज देव के किरण हा कीटाणु ला नष्ट कर देथे अउ शरीर ला निरोग बनाथे। तेकर सेती सब बिहनिया बिहनिया जल चढ़ाके आशीष माँगथे।
एक उछाह अउ बिश्वास के साथ अगहन बिरस्पत के परब ल महिला मन बड़ ऊर्जा अउ धरम करम अउ संयमित रहिके मनाथे। अउ इही भाव के कारण आज धरम करम मा महिला मन पुरुष मन से कतको आगू निकल गेहे।अच्छाई फैलथे, बुराई घटथे, घर मा सुख समृद्धि के वास होथे अउ घर परिवार समाज मा संस्कार जगथे। इही सीख देथे अगहन बिरस्पत के पूजा हा।
माँ लक्ष्मी विनती हे, बने सब के बिगड़े काज।
दीन हीन कोनो झन रहे,सब के राखव लाज।।*
विजेन्द्र वर्मा,नगरगाँव